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________________ (ख) नकारात्मक पराजीवियों की सफाई नकारात्मक सोच के आकारों की सफाई करने के पश्चात, नकारात्मक पराजीवियों की सफाई करनी आवश्यक होती है। यह द्विहृदय पर ध्यान चिन्तन के द्वारा नियमित और यथोचित करने पर होती है। दैवीय ऊर्जा या ev स्वतः ही इन पराजीवियों का निष्कासन कर देगी और ऊर्जा की जालियों पर दरारों या छेदों को बन्द कर देगी अथवा सील कर देगी। जो व्यक्ति १. नाई से कम उम्र के हैं, अथवा ऐसे रोगों से पीड़ित हैं जिनमें द्विहृदय पर ध्यान करना वर्जित है, वे श्वेत प्रकाश पर ध्यान का अभ्यास करें। (ग) स्वतः की सकारात्मक छवि बनाना (क) उपचार की गति अपने को सकारात्मक विचार और संवेदनों से ऊर्जित करके बढ़ायी जा सकती है। यह सकारात्मक स्वीकारीकरण करके या सकारात्मक स्व-छवि बनाकर किया जाता है। इसको कम से कम कई महीनों तक प्रतिदिन लगभग दस मिनट करके करना चाहिए। शक्तिशाली विचारों की स्व-छवि के लिए इसमें धैर्य रखना अति महत्वपूर्ण है। अथवा (ख) एक और अन्य तरीका शक्तिशाली स्व-छवि बनाने का अपनी सकारात्मक स्व-छवि बनाना या सृजनात्मक दृश्यीकरण है। यदि आप मायूसी महसूस करते हैं तो अपने को प्रसन्न, आशावादी और उत्साह से भरा हुआ दृश्यीकृत करें। यदि किसी की हिंसा की प्रवृत्ति है, तो वह तनाव या भड़काने वाली स्थितियों में अपने को शान्त, भला और कर्मकारक दृश्यीकृत करें। कम से कम अगले कई महीनों तक प्रतिदिन दस मिनट तक दृश्यीकरण करिए। दृश्यीकरण का स्पष्ट होना जरूरी नहीं है। आपका दृश्यीकरण स्पष्ट है या नहीं, इसका उसकी उत्पादित सोच की ५.३७७
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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