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नारकी जीव
इसका वर्णन क्रम (२) - नरक के वर्णन में दिया है। कुल संख्या = J.G 114 मनुष्य
इसका वर्णन क्रम (४) – मध्यलोक में किया है। कुल संख्या = {J+ SB) -1
समस्त देव राशि = ज्योतिष्क देवों के प्रमाण से कुछ अधिक
(नोट- समस्त देवों में ज्यातिष्क देवों की संख्या सबसे अधिक है) भवनवासी देवों का प्रमाण- इसका वर्णन क्रम (३) – भावन लोक में किया है। व्यन्तर देवों का प्रमाण- इसका वर्णन क्रम (५) – व्यन्तर लोक में किया है। ज्योतिष्क देवों का प्रमाण- इसका वर्णन क्रम (६) – ज्योतिर्लोक में किया है। स्वर्ग (कल्पवासी/कल्पातीत) के देवों का प्रमाण- इसका वर्णन क्रम (७) ऊर्ध्वलोक में दिया है। समस्त देव = व्यन्तर देव + भवनवासी देव + ज्यातिष्कदेव + स्वर्ग के देव
= ज्योतिष्क देवों से कुछ अधिक, क्योंकि सम्पूर्ण देवों में ज्योतिषियों
का प्रमाण बहुत अधिक है, शेष तीन जाति के देवों का प्रमाण
बहुत अल्प है। तिर्यन्च
पंचेन्द्रिय तिर्यंच = पंचेन्द्रिय जीव – (नरक, मनुष्य व देव गति के जीव) एकेन्द्रिय जीव
समस्त एकेन्द्रिय जीव = संसारी जीव – त्रस जीव बादर एकेन्द्रिय = + x समस्त एकेन्द्रिय जीव
१.७२