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उसको निर्देश देने के स्थान पर प्रार्थना करना ही अधिक उपयुक्त होगा। यह सब प्रार्थनाएं तीन बार दोहराएं। .
___ ऊर्जन का स्व-संतुष्टि हो जाने के पश्चात, स्थिरीकरण करें तथा ev (नीले प्राण के स्थान पर) से सील करें। यहां यह बताना आवश्यक है कि इन केसों में नीले प्राण द्वारा की गयी सील कमजोर पड़ जाती है और कुछ समय बाद खुल जाती है। सील करने के उपरान्त आपके और रोगी के बीच उपचार के दौरान वायवी डोर को वायवी उपाय से काटें। यदि आपने शारीरिक रोगों के लिए किसी चक्र का उपचार साधारण प्राण ऊजा अथवा रंगीन प्राण ऊर्जा द्वारा किया हो, तो उस चक्र की सफाई या ऊर्जन के लिए ev का उपयोग न करें। उस चक्र को सामान्य करने के लिए यथोचित नीला/ लाल प्राण ऊर्जा का प्रयोग करें।
रोगी के 3 व 5 को अधिक सक्रिय न होने दें। (च) आवश्यक्तानुसार, उपचार बार-बार करें। (छ) रोगी को द्विहृदय पर ध्यान चिन्तन के लिए विशेष तौर पर प्रेरित करें। (ज) रोगी को दूसरों को क्षमा करने, क्षमा मांगने, नकारात्मक भावनाओं को
छोड़कर सकारात्मक भावनाओं को अपनाने के लिए कहें। चक्र तथा आभामण्डल के कवच (chakral and auric shields) तैयार करना चूंकि रोगी की नकारात्मक भावनाओं द्वारा परोक्ष रूप से यह प्रवृत्ति होती है कि वे चक्र के फिल्टर की जाली में छेद कर दे और नकारात्मक ऊर्जा एवम् नकारात्मक ऊर्जा परजीवियों को आकर्षित करे, इसलिए प्रभावित चक्रों का एवम् आभा मण्डल का क्रमशः चक्र का कवच एवम् आभामण्डल का कवच निर्माण करें, जिसके द्वारा नकारात्मक ऊर्जा एवम नकारात्मक ऊर्जा परजीवी दुबारा रोगी को संक्रमित न कर सकें। इसके लिए निम्न क्रिया अपनायें:
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