________________
!
(घ)
ह
(9)
चक्रों का ऊर्जन
उक्त (ग) में वर्णित सफाईकरण प्रक्रिया करने के पश्चात ev द्वारा ऊर्जन विधि द्वारा ऊर्जन करें । ev से यह प्रार्थना करें कि वह अमुक व्यक्ति के अमुक चक्र ( एवम् उसके माध्यम से अमुक अंग / समस्त शरीर, जैसा करना हो ) का शीघ्र उपचार (heal) करे, तथा चक्र के फिल्टर की जो कोई दरार हों उनको ठीक कर दे तथा कोई छेद हों उनको बन्द कर दे तथा सकारात्मक सोच के आकारों को वहां पर अवस्थित कर दे। इस प्रार्थना को तीन बार दोहरायें। जहां तक सम्भव हो सके. इसका दृश्यीकरण भी करें। जांच की प्रक्रिया के समय, यदि आप नकारात्मक सोच के आकारों की प्रकृति पता लगा पाये हों, अन्यथा रोग के लक्षणानुसार अथवा सामान्य तौर पर निम्नवत सकारात्मक सोच के आकारों को अवस्थित करें:
उपक्रम
नकारात्मक सोच के आकार सकारात्मक सोच के आकार
क्रोध, रोष
क्षमा
मृदुता
आर्जव (सरलता)
सन्तोष
प्रसन्नता
१.
२.
३.
४.
६.
७.
८.
६.
१०.
११.
नान
कपटता
गृद्धता / लालच
शोक, अप्रसन्नता, उदासी,
मायूसी
तनाव, थकान
घृणा
भय, चिन्ताएं
हिंसा
चिड़चिड़ापन,
क्रूरता
पागलपन
५.३४८
आराम
मित्रता
सुरक्षा, शांति और विश्वास
अहिंसा
दया
समझदारी