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________________ (३) (व) उक्त कारणों/परिस्थितियों के कारण जबकि कुछ कैंसर के रोगी आंशिक रूप या पूर्ण रूप से ठीक हो जाते हैं और उनका जीवन बढ़ जाता है, किन्तु केवल कुछ ही आंशिक या पूरे तौर पर ठीक हो पाते हैं। फेंफड़ों का कैंसर-- Lung Cancer इसमें पिछला चक्र अति सक्रिय होता है और भूरी सी पीली सी लाल ऊर्जा भरी होती है। फेंफड़ों के लघु चक्र भी अति सक्रिय होते हैं। (क) E Lu B (स्थानीयकरण हेतु)/C' (Lu के आगे, बगल में और पीछे से) !C (42) के उपयोग के समय, अपनी उंगलियों को सिर की ओर इंगित न करें। (ख) आंशिक रूप से तथा धीरे-धीरे कैंसर के कोशिकाओं को तोड़ने के लिए E Lu (Lub के माध्यम से) IB (स्थानीयकरण हेतु), E mG / mo अथवा E dG/d0- साथ-साथ कैंसर कोशिकाओं को सुकुड़ते हुए, छोटा होते हुए और धीरे-धीरे गायब होते हुए दृश्यीकृत करें| E mo अथवा Edo के समय, अपनी उंगलियों को रोगी के सिर से दूर इंगित करें। c 7b IGI E IG,B – साथ ही साथ इस चक्र को छोटा होने की इच्छा शक्ति करें। पुनः जांच करें। (घ) E (प्रभावित फेंफड़ों के लघु चक्र) IB -- साथ ही इनको छोटा हो जाने की इच्छा शक्ति करें। (ङ) उक्त उपचार को उक्त क्रम (२) के साथ समन्वित करें। छाती का कैंसर- Breast Cancer (क) 2 प्रभावित होता है। c' 2G-O/EGIB -- साथ ही इस चक्र को छोटा होने की इच्छाशक्ति करें। पुनः जांच करें। (ख) F (प्रभावित छाती) IB (स्थानीयकरण हेतु) ! C' (प्रभावित चूची का चक्र तथा प्रभावित छाती) ~0 (४) - --...
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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