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________________ (७) (ठ) C (बाहों तथा पैरों पर, a, e, H, h, k, SG~0/E (a, e, R, h, k, S) R- H और 8 में प्रेषित प्राणशक्ति का स्थिरीकरण न करें। (ड) पहले कुछ हफ्तों तक उपचार को प्रतिदिन करें। बाद में जब तक जरूरत हो, सप्ताह में तीन बार उपचार करें। सामान्य तौर पर कुछ हफ्तों के उपचार के बाद कुछ सुधार दिखाई देगा, लेकिन उपचार कम से कम कई महीनों तक करना पड़ेगा। रोगी को शाकाहारी होने की सलाह दें। उसको दान द्वारा सुपात्रों तथा धर्मार्थ, न कि अपात्र अथवा कुपात्र को ), सत्कर्म करने तथा दूसरों को क्षमा करने एवम् परमात्मा से स्वयं क्षमा मांगने के लिए प्रेरित करें। मस्तिष्क शोथ तथा मस्तिष्क सुषुम्नाच्छ शोथ - Encephalitis and Meningitis (क) GS(२) (ख) C' (समस्त सिर, 11, 10, 9, bh, j)G~ VIE GBV- यह चरण बहुत महत्वपूर्ण है और दिन में कई बार करें। (ग) c (8, 8) IE Gv– यह लिम्फैटिक तंत्र को उत्तेजित करने के लिए है। (घ) C7/ E थायमस (76 के माध्यम से) GV' (ङ) C' (रीढ़ की हड्डी) C LuE LI (Lub के माध्यम से) GO- इसके द्वारा रक्त पर सफाई का प्रभाव पड़ता है। 0 करते समय अपनी उंगलियों को रोगी के सिर से दूर इंगित करें। (छ) C" 6, यह बहुत महत्वपूर्ण है |E GBV (ज) C51 E GV'- सावधानी से (झ) c (4, 2/E (ञ) C (3, 1) (ट) c (पैरों तथा बाहों पर, a, e, H, h, k, S)/E (a, e, H, h, k, S)V-H तथा 5 में प्रेषित प्राणशक्ति का स्थिरीकरण न करें। (ठ) जब तक आवश्यक्ता हो, प्रतिदिन उपचार करें। मानसिक पिछड़ापन- Mental Retardation 11, 10, 9, bh और 8 भूरे से रंग के होते हैं और कम सक्रिय होते हैं। 1 तथा 2 प्रभावित हो जाते हैं और उनका उपचार करना पड़ेगा क्योंकि इनकी परावर्तित ऊर्जा (८) ५.३१७
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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