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________________ अध्याय - १८ ऊर्जा द्वारा शारीरिक रोगों का उपचार-उन्नत तकनीक तथा रंगीन ऊर्जा द्वारा उपचार अन्तःस्त्रावी ग्रंथियों के रोग Endocrine Ailments संदर्भ : ___ भाग २. अध्याय १० और भाग ४. अध्याय १४, क्रम संख्या (७) (१) सामान्य- General 9 अन्तःस्त्रावी तंत्र को नियंत्रित करता है। 11 तथा 10 पिनीयल ग्रंथि को नियंत्रित और ऊर्जित करते हैं। 9 पीयूष (pituatary ग्रंथि को नियंत्रित और ऊर्जित करता है। 8 थायराइड तथा पैराथायराइड ग्रंथियों को नियंत्रित और ऊर्जित करता है। 7 थायमस ग्रंथि को नियंत्रित और ऊर्जित करता है। 6 अग्न्याशय (Pancreas) को नियंत्रित और ऊर्जित करता है। 2 यौन ग्रंथियों (Gonads) को नियंत्रित और ऊर्जित करता है। 8 जो कि 2 के साथ उच्च प्रकार का सम्बन्ध रखता है, वह भी यौन ग्रंथियों को प्रभावित करता है। 3 तथा 1 अधिवृक्क ग्रंथियों (Adrenal glands) को नियंत्रित और ऊर्जित करते हैं। चूंकि 6 का प्रभाव 3 तथा 1 पर पड़ता है, इसलिये उसका प्रभाव अधिवृक्क ग्रंथियों पर भी पड़ता है। 7 तथा थायमस ग्रंथि मिलकर 9 द्वारा उच्च मुख्य तथा लघु चक्रों तथा उनसे सम्बन्धित अंगों का समन्वय तथा नियमिन करने में, उसकी (9 की) सहायता करते हैं। थायमस ग्रंथि का हृदय, रक्तचाप, गला, थायराइड ग्रंथि, पैराथायराइड ग्रंथियों और सिर के अन्दर के अंगों पर प्रभाव पड़ता है। उच्च चक्रों से तात्पर्य 6 से ऊपर वाले चक्रों का है। . रक्तचाप C (7, थायमस ग्रंथि)| E (7 तथा थायमस ग्रंथि - 7b के माध्यम से) Gv द्वारा भी कम किया जा सकता है। इस प्रक्रिया से धीरे धीरे 6 तथा 3 सामान्य हो जाते हैं। अधिक शीघ्र परिणाम C (6, 3) एवम् उनको संकुचित करके प्राप्त किया जाता है। ५.२८७
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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