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________________ 1 (19) अति सक्रिय तथा और उस सकती है अथवा उपचार की गति धीमी हो सकती है। (क) GS (ख) C' { 2 तथा आसपास का क्षेत्र) G ~ O (ग) E 2 BG - B स्थानीयकरण तथा G संक्रमण हटाने तथा घोलने के लिए है । C (1, 4) / थोड़ा सा FW C" 6 / E GBV C (11, 9, 8 ) /E GV' (छ) उक्त चरण (ख) व (ग) पर विशेष ध्यान दें | (ज) सप्ताह में तीन बार, जब तक आवश्यक हो, उपचार करें। इसमें तीन माह या इससे अधिक लग सकता है I (घ) पर ज्यादा घनापन हो जायेगा। इससे हालत बिगड़ ब ब गर्भाशय का अपनी जगह से हट जाना- Prolapsed Uterus (क) GS (ख) C ( 2 तथा आसपास का क्षेत्र) G ~ O/E2 GOR C' (1, 4)/ER (ET) C" 6 /E GBV (ङ) उपचार को सप्ताह में तीन बार करें। (द) पौरुष ग्रंथि का बढ़ जाना - Enlarged Postate यह रोग 2 के घनेपन अथवा खालीपन से हो सकता है I 2 पर घनापन अधिकतर कुँवारे, नपुंसक तथा यौन क्रिया रहित व्यक्तियों में होता है और 2 का खालीपन अधिकतर वृद्ध लोगों में होता है। (क) GS (ख) C2G0 (ग) E2 W अथवा यदि रोग 2 के घनेपन के कारण है, तो इसके स्थान पर E 2 G करें और यदि रोग 2 के खालीपन के कारण है तो इसके स्थान पर E 2 R करें। (घ) C (1, 4)/ E W ५.२८०
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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