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द्वितीय- यदि भावनात्मक कारणों से रोग है, तो यह आवश्यक है कि रोगी निम्न तरीकों से दबे हुए नकारात्मक भावनाओं को निकाल दे:(क) उन लोगों को मानसिक तौर पर क्षमा करे एवम् उनको आशीर्वाद दे, जिनके
द्वारा रोगी को वास्तविक अथवा काल्पनिक, जाने में अथवा अनजाने में तकलीफ पहुंची है। उन लोगों से मानसिक तौर पर क्षमा मांगे, जिनको रोगी ने तकलीफ पहुंचाई
है, तथा उनको आशीर्वाद दे। (घ) उक्त चरण (क) व (ख) बार-बार दोहगारों, जब तक कि रोगी की भावनात्मक्त
रूप से नकारात्मक भावनायें समाप्त न हो जायें। क्षमा करने और क्षमा मांगने की प्रक्रियाओं का बाह्यीकरण करने हेतु सम्बन्धित व्यक्ति /व्यक्तियों को पत्र लिखें। यह पत्र न भेजे जायें, किन्तु जलाकर उसकी राख छिटका दें। पत्र जलाकर व राख छिटकाना नकारात्मक
भावनाओं के निकलने का द्योतक है। (च) दान दें। यह सुनिश्चित करें कि यह दान धार्मिक कार्यों अथवा सुपात्र को ही
दिया जाये। अपात्र अथवा कुपात्र को दान न दें।
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