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________________ (ख) C" 6G (ग) C L(सामने, बगल तथा पीछे से) G~0- यह । की सफाई तथा सूजन समाप्त करने के लिए है। नारंगी ऊर्जा या तो ० हो या सफेद सी बहुत हल्की नारंगी रंग की ऊर्जा हो, अन्यथा इससे पतले दस्त हो सकता है। E 6 GBV -- प्राण ऊर्जा को । के अन्दर जाते हुए दृश्यीकृत करें। (ङ) C7I E थायमस (7b के माध्यम से) Gv (च) उक्त वर्णित क्रम संख्या ११ (ङ) में वर्णित क्रिया के अनुसार। (छ) 5 भूरा सा होता है तथा प्लीहा भी आंशिक रूप से प्रभावित होता है, इसलिए C51 E Gv - सावधानी से। (ज) C 41 E W- यह शरीर का ऊर्जा स्तर और अधिक बढ़ाने के लिए है C1 (ञ) C (बाहों तथा पैरों पर, H, S) IE (H, S) V- इस चरण को उस दिन में न दोहरागे अन्या प्रतिकुल प्रक्रिया हो कसती है। । तथा 5 में प्रेषित प्राणशक्ति का स्थिरीकरण न करें। (ट) C ( 11, 10, 9, 8, bh) E Gv (ठ) दीर्घकालीन रोग में अगले कुछ दिनों तक उक्त (क), (ख), (ग) तथा (घ) में वर्णित चरण दिन में दो से पांच बार तक करें, जब तक रोगी की हालत सुधर नहीं जाती और स्थिर नहीं हो जाती। समस्त उपचार सप्ताह में तीन या अधिक बार करें, जब तक रोगी पूर्ण रूप से ठीक नहीं हो जाता। (१६) हाजमे की समस्यायें- Assimilation Problems 6 पाचन अंगों को नियंत्रित तथा ऊर्जित करता है। 4 छोटी आंतों को नियंत्रित और ऊर्जित करता है, जहां भोजन के तत्वों को हजम किया जाता है। (क) C" 6. C (4 तथा पेट के क्षेत्र पर) (ख) E (6, 4) (कम G) V (ग) 01/E R- यह शरीर को शक्ति प्रदान करने के लिए है। (घ) C (11, 10, 9, bh, 8)/ E Gv (ङ) सप्ताह में कई बार यह उपचार करें।
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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