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अध्याय - १५
ऊर्जा द्वारा शारीरिक रोगों का उपचार-उन्नत तकनीक तथा रंगीन ऊर्जा द्वारा उपचारगैस्ट्रो-आंत्रिक रोग (पाचन तंत्र से संबंधित)
Gastro-Intestinal Ailments
(related with Digestive System) संदर्भ :
(१)
भाग २, अध्याय १२ तथा भाग ४, अध्याय १४, क्रम संख्या (६) सामान्य-General यह व्यवस्था 8, 6 और 4 द्वारा ऊर्जित एवम् नियंत्रित होती है। 8, 8' और j मुंह, लार ग्रंथियों और ग्रसिका नली को ऊर्जित एवम् नियंत्रित करते हैं। 6 तथा 4 गैस्ट्रो आंत्रिक तंत्र को नियंत्रित और ऊर्जित करते हैं। 6 यकृत, अग्न्याशय और उदर को तथा 4 छोटी और बड़ी आंतों को नियंत्रित और ऊर्जित करते हैं। गैस्ट्रो आंत्रिक रोग मात्र T (6, 4) द्वारा ठीक किये जा सकते हैं। E में w या रंगीन प्राण का उपयोग किया जा सकता है। L के तीन लघु चक्र होते हैं- ऊपरी दांया, ऊपरी बांया तथा निचला दांया लघु चक्र। निचला दांया लघु चक्र गॉल ब्लैडर को भी नियंत्रित और ऊर्जित करता है. जिसके एक सम्बन्धित गॉल ब्लैडर का अति लघु चक्र होता है। उदर (आमाशय, पेट) का तथा अग्न्याशय का अग्न्याशय का एक-एक लधु चक्र होता है। छोटी आंतों का एक लघु चक्र होता है तथा उसके प्रति तीन फीट पर एक-एक अति लघु चक्र होता है। बड़ी आंतों की भी यही व्यवस्था है। एपैन्डिक्स का एक अति लघु चक्र होता है। गुदा (anus) का भी एक गुदा लघु चक्र होता है। उक्त सभी चक्रों की स्थिति चित्र ४.१४ में दर्शाये गये हैं।
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