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________________ मांसपेशियां फेल हो सकती है। हृदय रोग उपचार में 7. हृदय, 6, L, 8. 1 का T करना चाहिए। हृदय पर या तो घनापन या खालीपन या दोनों हो सकते हैं | C6 अति महत्वपूर्ण है क्योंकि आमतौर पर रोग का यही कारण होता है। ये भी प्रभावित होता है और भूरा सा लाल होता है। 1 में खालीपन या आंशिक रूप से खालीपन होता है। G सफाई एवम् घोलने, R चौड़ाने और शक्ति पहुंचाने, B संक्रमण व सूजन हटाने के लिए उपयोग की जाती है। यह हृदय की मांसपेशिया के लचीलेपन (pliability) लिये भी आवश्यक है और बढ़े हुक हृदय के उपचार में काम आता है। v का अनेक प्रकार के प्रभाव पड़ता है। हृदय को एक या दो उंगलियों से अच्छी तरह जांच करनी चाहिये, ताकि छोटे-छोटे उत्पीड़न के स्थान ढूंढ़े जा सके। इसमें मदद के लिए रोगी से बताने के लिए कहें। जिन स्थानों पर खालीपन हो, उन पर उंगलियों द्वारा CG~v करें। C' 6 अति आवश्यक है। अनुभवी कुशल उपचारक के लिए अच्छा है कि वेc 6 की तकनीक जिसका वर्णन अध्याय ६ के क्रम १० (२६) में है, अपनायें। इससे शीघ्र C (6, L) होता है। अधिक सक्रिय 6 को B से संकुचित भी करना पड़ता है। C (हृदय) के लिये अनुभवी कुशल उपचारक CG..0 कर सकते हैं। रक्त नलियों को चौड़ाने के लिये CR करें। यदि ८ ठीक हो जाये तो बहुत तेजी से आराम मिलता है। E0 मात्र कुशल उपचारक ही कर सकते हैं, अन्य नहीं क्योंकि यदि ० के शेड में गल्ती हुई तो कमजोर हृदय वालों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। आम तौर पर हृदय पर प्रेषित ऊर्जा का स्थिरीकरण नहीं करना चाहिए क्योंकि यदि उपचारक जो कुशल नहीं है उनके द्वारा अति स्थिरीकरण हो जाता है, जिससे हृदय पर घनापन हो जाता है। इस घनेपन से तकलीफ होती है। यदि ऐसा हो जाये, तो C (हृदय) करें। हृदय रोगी से आशा की जाती है कि वे धूम्रपान न करे, अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करे और अपनी खुराक पर ध्यान दे। -
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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