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________________ अध्याय - १३ ऊर्जा द्वारा शारीरिक रोगों का उपचार-उन्नत तकनीक तथा रंगीन ऊर्जा द्वारा उपचार हृदय तथा रुधिराभिसरण तंत्र के रोग- Heart and Circulatory Ailments संदर्भ : भाग २, अध्याय ८ और भाग ४, अध्याय १४, क्रम संख्या (५) सामान्य-General हृदय 7 द्वारा नियंत्रित और ऊर्जित होता है। चूंकि भौतिक हृदय मांसपेशियों का बना होता है, इसलिए 1 द्वारा काफी मात्रा में ऊर्जित तथा नियंत्रित होता है। यह 6 द्वारा भी प्रभावित होता है, जिसके गलत ढंग से कार्यरत होने के कारण यह भी गलत ढंग से चलता है। कई केसों में तनाव और नकारात्मक भावनओं के कारण हृदय रोग होते हैं। अनेक हृदय रोगी का 6 गलत ढंग से चलता है। 6 की गंदी घनी ऊर्जा का एक भाग 7 में जाता है, जिस कारण हृदय गलत तौर से चलता है और जिससे शरीर के कोलेस्ट्रोल पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और एक लम्बे समय में हृदय रोग हो जाते हैं। कई केसों में 6 गलत तौर पर चलने के कारण, 8 भी गलत रूप से कार्य करता है जिससे हृदय गलत ढंग से चलता है। रक्त की नलियां प्रमुख तौर पर 7 और 1 ऊर्जित व नियंत्रित करते हैं। अन्य मुख्य व लघु चक्र भी इसको प्रभावित करते हैं। हृदय के दो लघुचक्र – दाया और बांया होते हैं। उक्त हृदय के चक्रों की स्थिति चित्र ४.१३ में दर्शायी गयी है। हृदय रोग कई प्रकार के होते हैं। इन रोगों अर्थात हृदय की रक्त नलिकाओं में रुकावट या थक्का बन जाना, हृदय संक्रमण, हृदय का बढ़ जाना, हृदय के वाल्चों का गलत तौर पर कार्य करना, हृदय के दाये तथा बांये भाग के मध्य की दीवाल में जन्म से ही छेद/छेदों का होना, हृदय की अनियमित धड़कन द्वारा हृदय की ५.२३८
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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