________________
कान में द्रव या चिपचिपा हुआ कान, कान के फटे पर्दे, कान की झान तंतु का बहरापन और अन्य कारण। (क) c (प्रभावित कान)/ E Gv (ख) c (bh, प्रभावित कान से संबंधित j)! E w (ग) अधिकतर रोगी इसी से तुरन्त और आंशिक सुधार पायेंगे। कभी-कभी
उपचारित कान, दूसरे सामान्य कान से अधिक सुनने लग जाता है, किन्तु
यह आमतौर पर अस्थायी रूप से होता है। (घ) प्राण उपचार को दोहराइये। (ङ) W अति सुरक्षित है, लेकिन रंगीन प्राण के मुकाबले में अधिक देर तक सुधार
टिकता नहीं है। नोट- श्री चोआ कोक सुई ने एक अजीब केस देखा। एक औरत बचपन में मूलाधार के पास के क्षेत्र पर बुरी तरह गिर पड़ी थी। दिव्य दर्शन से उन्होंने देखा कि उसके 1 का आधा हिस्सा ठीक था, जबकि दूसरे हिस्से पर काफी खोखलापन था। 1 की जड़ केन्द्र से थोड़ी सी हटी हुई थी। वह दांये कान से आंशिक बहरी थी, उसकी दांयी आंख, बांयी से ज्यादा खराब थी। उसका दाया वक्ष बांये से छोटा था, दांया पैर बांये से छोटा था। 2 भी गलत कार्यरत था। इसके लिए 11 किया गया। इच्छा शक्ति से 1 की जड़ को भी अपने स्थान पर लाया गया। रीढ़ की हड्डी को
भी ठीक किया गया। (११) फटा हुआ कान का पर्दा- Ruptured Eardrum
(क) C' (प्रभावित कान) G~VI EGV (ख) C' ( bh, प्रभावित कान से संबंधित j) /E GV (ग) C(6, 4, 1/E W-यह उपचार की गति को तेज करने के लिए है।
(घ) उपचार को सप्ताह में तीन बार कीजिए। (१२) चिपका हुआ कान- Glued Ear
यह रंधी हुई नाक से हो सकता है।