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प्लीहा असाधारण कोशिकाओं और रोग के कीटाणुओं को फिल्टर करके नष्ट करता है। ज्यादा संक्रमक रोगियों का 5 गंदा और ढीला होता है। प्लीहा पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिये गम्भीर संक्रमक केसों में T 5 जरूरी है। 1 5 का शरीर पर शक्तिदायक प्रभाव पड़ता है, किन्तु सावधानी जरूरी है। शिशु व छोटे बच्चों के E 5 से वे प्राणिक घनेपन के कारण बेहोश हो सकते हैं, यह कभी-कभी बड़ों के साथ भी होता है। उच्च रक्तचाप के रोगी का E 5 से रक्तचाप और बढ़ सकता है। 5 का 3 से निकट संबंध होने के कारण, E 5 से आंशिक रूप से 3 सक्रिय होता है, अतएव 3 व 5 की जांच सामने से तथा अगल-बगल से बार-बार जरूरी
(क) GS (२) (ख) C' 5 G (ग) C4/EW या R)- इससे 5 भी ऊर्जित हो जायेगा। यह प्लीहा को
उत्तेजित व शक्तिदायक करने के लिए प्रभावकारी है तथा अति सुरक्षित भी हैं। किन्तु जो ज्यादा कुशल व अनुभवी प्राणशक्ति उपचारक हैं, वे बजाय 1 4
के. सीधे ही c 5 / E (W या R या कर सकते हैं। थायमस को उत्तेजित करना व शक्ति पहुंचाना- Simulating and Strengthening the Thymus थायमस T- Lymphocytes बनाता है, जो वायरस, फुगी और परजीवी कीटाणुओं से लड़ते हैं। थायमस को उत्तेजित करने व शक्तिदायक बनाने से शरीर का प्रतिरक्षात्मक तंत्र मजबूत बनता है। T 6 भी जरूरी है क्योंकि यह 7 से घनिष्ठ संबंध रखता
(क) (ख) (ग)
GS(२) C"6 तथा CL 56 GBV C' 7/E7b (कम GV तथा प्राण ऊर्जा को थायमस में जाते हुए दृश्यीकृत करें। 7 पर प्राण का घनापन न हो, इसलिये 7 का स्थिरीकरण न करें। 17 से रीढ़ की हड्डी, पसलियां और छाती की हड्डी को अधिक रक्त (मय अधिक श्वेत कण) बनाने की उत्तेजना मिलती है।