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________________ अध्याय – १० ऊर्जा द्वारा शारीरिक रोगों का उपचार-उन्नत तकनीक तथा रंगीन ऊर्जा द्वारा उपचार प्रतिरक्षात्मक तंत्र-Immunity and Defense System संदर्भ : भाग २, अध्याय ६ तथा भाग ४, अध्याय १४, क्रम संख्या ६ इनको ध्यान से देखें)। विभिन्न अंगों में अस्थि मज्जा का उत्पादन एवम् नियंत्रण का विवरण वहाँ दिया गया है। (१) प्रतिरक्षात्मक तंत्र- Immunity and Defense System (क) 01/E Wया R)- इससे अस्थि मज्जा( Bone Marrow) द्वारा लाल व श्वेत रक्त के कण ज्यादा उत्पादित होते हैं। (ख) E1- शरीर का प्रतिरक्षात्मक तंत्र मजबूत करने के लिए। इसको E 3 को wया R से बढ़ाया जा सकता है, तभी तो मास्टर उपचार पद्धति काफी शक्तिशाली होती है। सीधे ही F अस्थिमज्जा (R या V) से भी रक्त गणों का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। R से v ज्यादा शक्तिशाली है किन्तु R ज्यादा सुरक्षित होती है। अधिक v से विपरीत प्रक्रिया हो सकती है, इसलिये दिन में एक बार से अधिक EV नहीं करना चाहिए। (घ) बुखार से ग्रसित रोगी का E 1 नहीं करना चाहिए, वरना बुखार बढ़ जायेगा। उनके लिए ES- इससे परोक्ष रूप से १ का ऊर्जन हो जायेगा और शरीर का प्रतिरक्षात्मक तंत्र बगैर बुखार बढ़े मजबूत होगा। ५.२१५
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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