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(ग) उपचार को गति को कई गुना बढ़ाना। कई गम्भीर रोगों में भी
इस्तेमाल की जा सकती है। (घ) युवा खिलाड़ियों को अधिक शक्तिशाली बनाने के लिये। यह तकनीक
एक प्रकार से प्राकृतिक तौर पर स्टीयरौइड्स (Steroids) लेने के समान
बेहोश अथवा बहुत कमजोर रोगियों की चेतना लाने के लिए। यह 1 और 3 से मस्तिष्क तथा पूरे शरीर में ऊर्जा दौड़ने के कारण है। सावधानी- इसको मृत्यु के समीप व्यक्तियों पर नहीं उपयोग करनी चाहिए, अन्यथा इससे उनका जीवन और कम हो जायेगा। कोशिकाओं की मरम्मत या उनके विकास दर बढ़ाने के लिए। यह तकनीक सर्जरी के पहले तथा बाद में भी इस्तेमाल की जा सकती है। सावधानी- प्रत्यारोपण के केस में उसको इस्तेमाल न करें, क्योंकि इससे शरीर का प्रतिरक्षात्मक उत्तेजित होगा, जिससे हालत खराब हो सकती हैं। मुख्य प्राणिक उपचार के साथ-साथ पूरक उपचार हेतु । उदाहरण के तौर फेंफड़ों के उपचार में। यह तकनीक मुख्य उपचार के पहले तथा बाद में की जा सकती है।
इस तकनीक का एक असर यह होता है कि इससे यौनेच्छा बढ़ जाती है। रोगी को यह बता देना चाहिए तथा उन्हें यह बतायें कि उपचार के दौरान यौन क्रिया को ऊर्जा के संरक्षण हेतु बन्द या कम
कर दें, ताकि वह प्राणिक ऊर्जा उपचार के काम आ सके। (ज) निम्न मार्गदर्शन में यह तकनीक सुरक्षित रहती है।
(१) गर्भवती महिलाओं पर इसे न करे, अन्यथा बच्चे के नाजुक चक्र
_ नष्ट हो सकते हैं और गर्भपात या मृत बच्चा पैदा हो सकता है। (२) उच्च रक्तचाप के रोगी पर न करें, अन्यथा उनकी हालत बिगड़
सकती है।