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________________ I (ख) (12) (घ) (ङ) इस कारण से " णमो अरिहंताणं" यह संसारी जीव के अनादिकालीन मिथ्यात्व को उपशम / नष्ट करने में समर्थ है। "नवकार मंत्र के माहात्म्य" में वर्णित "यह आतम ज्योति जगाता है" इस कारण से है । लाल रंग में णमो सिद्धाणं- क्रम संख्या ४ में हमने देखा कि इस रंग की ऊर्जा शक्तिवर्द्धक है। यह आत्म-शक्ति बढ़ाने के उद्देश्य से है । "नवकार मंत्र के माहात्म्य में वर्णित "यह आतम शक्ति बढ़ाता है" इस कारण से है। इस ऊर्जा का अन्य गुण उत्तेजना व उष्णता हैं जो कदाचित भक्ति के लिए प्रेरित करती है। पीले रंग में णमो आइरियाणं- क्रम संख्या ७ में हमने देखा कि इस रंग की कर्क का कार्य जोड़ना है। आचार्यों के उपदेश से यह जीव परमात्मा से जुड़ता, धर्म से जुड़ता व सम्यग्दर्शन से जुड़ता है। संसार को समझता है, तभी तो दीक्षा के भाव जगते हैं। "नवकार मंत्र के माहात्म्य" में यह दीक्षा में भाव जगाता है, इस कारण से है । हरे या नीले रंग में णमो उवज्झायाणं- हरे व नीले रंगों की ऊर्जाओं में विजातीय पदार्थ को दूर करने की क्षमता है। यह आत्मा में बैठे हुए मल ( मिथ्यात्व ) को अलग करता है और तभी उसका ज्ञान सम्यग्ज्ञान कहलाता है । तभी णमोकार मंत्र के माहात्म्य" में "यह कर्माश्रव को ढीला करता, सम्यग्ज्ञान कराता है" वर्णित है। काले रंग में णमो लोए सव्व साहूणं- काले रंग में सोखने का एक अद्भुत गुण होता है। इसीलिए जीव के समस्त कषाय, राग-द्वेष- मोह, मिथ्यात्वादि को सोखते अथवा नष्ट करते हुए, यह उसको यथाख्यात चारित्र में अवस्थित कराता है जिससे साक्षात मोक्ष पद मिलता है। ज्ञातव्य हो कि जीव को मोक्ष केवल इसी पद से प्राप्त होता है न कि अरिहंत, आचार्य अथवा उपाध्याय पद से। तभी " णमोकार के माहात्म्य" में "दिलवाता है यह ऊंचा पद" वर्णित है। निवेदन है कि आप इस सम्बन्ध में स्वयं गहन चिंतन व खोज करें। ५. १७८
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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