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________________ यदि घाव में खाली जगह (Gap) है, तो घाव को सिलवाना पड़ेगा या टेप करना पड़ेगा या उपचार के दौरान केवल अपनी उंगलियों द्वारा ही सिकोड़कर रखना होगा। इस उपचार की सम्पूर्ण विधि अध्याय ६ में दी गयी है। नोट : 0–R के स्थान पर G-v या B–v भी इस्तेमाल की जा सकती है। (२) मोच में फटे हुए स्नायु (एक प्रकार से मांसपेशियों का भाग) (Torn Tendons- Strong band or cord of tissue forming termination and attachment of fleshy part of muscle) (ङ) सावधानियां-- (क) इसका उपयोग निम्न स्थानों पर नहीं करना चाहिए :(१) नाजुक आंतरिक अंगों पर क्योंकि वे क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। (२) मस्तिष्क और स्नायुतंत्र पर क्योंकि उससे वे फट सकते हैं और असाधारण या मंगोलोइड mongoloid (Mongoloin type yellowish face मंगोल टाइप का पीला सा चेहरा) कोशिकाएं पैदा हो सकते हैं। (३) नाजुक अंगों के नजदीक के क्षेत्र पर। G-v का (ख) नाजुक अंगों पर एवम् वैसे भी, B---V या उपयोग किया जा सकता है।
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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