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(२)
नोट : (१) चूंकि ev उच्चतम आत्मा द्वारा कार्यक्रमित होती है; इसलिए उनको,
साधारण प्राण ऊर्जा के केस में पहले सफेद, फिर ऊपर से परिधि पर रंगीन ऊर्जा द्वारा चित्रित करने के बजाय, सीधा ही जैसी दिव्य ऊर्जा होती है, वैसी ही दृश्यीकृत की जाती है। इस पुस्तक में उपचार हेतु सफेद हल्की सी रंगीन ऊर्जा (Light whitish coloured pranic energy) का प्राविधान है। कहीं अन्य प्रकार की आवश्यकता महसूस हुई है, तो उसको विशेष रूप से उल्लेखित कर
दिया है। (३) रंगीन ऊर्जा का किस प्रकार उपयोग करें (क) जैसा कि क्रम सं २ में उपचार के लिये ली जाने वाली वांछित रंगीन ऊर्जा
का जिक्र है, वैसा आप चिन्तन करें। सामान्य ऊर्जा के लिए आप वातावरण से सम्बन्धित चक्र द्वारा सफेद ऊर्जा ग्रहण करें और उस चक्र से वांछित रंगीन ऊर्जा का चिंतन करते हुए तथा उस ऊर्जा का वास्तविक रंग वहीं हो जैसा आप चाहते हैं, इसके लिए ईश्वर से मन ही मन प्रार्थना करें। इस रंगीन ऊर्जा को प्रेषण करने वाले हाथ के चक्र अथवा उंगलियों के चक्र द्वारा दृश्यीकृत करें। साथ ही, यह अपने आप को स्मरण दिलाते रहिए अथवा मन ही मन विचार करिए कि"मैं अपने ........ चक्र में ऊर्जा ग्रहण कर रहा हूं। मैं अपने ..... चक्र द्वारा ऊर्जा को प्रेषण कर रहा हूं।
मैं जितनी ऊर्जा प्रेषण कर रहा हूं, उससे अधिक ऊर्जा ग्रहण कर रहा हूँ।" (ख) उपरोक्त तकनीक ग्रहण चक्र अथवा प्रेषण चक्र के अनुसार उसी प्रकार की
कहलाती है, अर्थात् मूलाधार – हाथ (1-H), कण्ठ-हाथ (8-H), ब्रह्म-हाथ (11-H) अथवा मूलाधार (1)-- उंगली, कण्ठ (8) -उंगली, ब्रह्म (11)-उंगली
चक्र तकनीक। (ग) दिव्य ऊर्जा ग्रहण करने के लिए, सर्वप्रथम ईश्वर से तीन बार प्रार्थना कीजिए
कि उसके आशीर्वाद से आपको दिव्य ऊर्जा प्राप्त हो जाये। यदि आप भक्ति से प्रार्थना करेंगे एवम् सचारित्र हैं, तभी. आपको यह ऊर्जा मिलेगी। तत्पश्चात्
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