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________________ (ख) सप्ताह में दो बार इलाज दोहरायें। उपक्रम (२०) लगातार पेशाब आना/बिस्तर में पेशाब करना- Frequent Urination/Bed wetting (क) रोगी की अच्छी तरह जांच करें। (ख) T' (2, 4) एवम् T (1. 6) (ग) सप्ताह में दो या तीन बार इलाज करें। उपक्रम (२१) प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ जाना- Enlarged Prostate Gland (क) जो इलाज उपरोक्त (उपक्रम २०) में निहित है (ख) इलाज की अवधि में संभोग वर्जित है। उपक्रम (२२) गुर्दे व मूत्राशय के संक्रामक रोग- Kidney and Bladder Infections (क) GS (२ या ३) (ख) यदि गुर्दे संक्रमित हो तो C ( 1, 3), CK IE K (3 को बगैर प्रभावित किये) – शिशुओं और बच्चों में यह प्रक्रिया धीमे और थोड़ी सी करनी चाहिए, क्योंकि अधिक E से रक्तचाप बढ़ सकता है। (ग) EK के बाद रोगी सिर दर्द की शिकायत कर सकता है. यह 3 के आंशिक उत्तेजित होने के कारण होता है। ऐसे केस में C (K, 3 और सिर) यदि मूत्राशय प्रभावित हो, तो 1 2. (ङ) सप्ताह में तीन बार इलाज करें। यदि संक्रमण तीव्र हो, तो अगले कई दिनों तक दिन में कई बार इलाज करें। (च) 3 और K एक शिरोबिंदु बेल्ट द्वारा 4 से जुड़े रहते हैं। कुछ केसों में गंदी रोगग्रस्त ऊर्जा K से पेट के निचले भाग की ओर चली जा सकती है। इस कारण रोगी पीट के दर्द के बदले पेट के अगले हिस्से में दर्द की शिकायत कर सकता है। १५.११२
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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