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(च) (पूरे पैरों पर) IT (S, H)- ऊर्जित करते समय एक सफेद रोशनी
या प्राणशक्ति ऊर्जा हाथ व पैर की हड्डियों के भीतर जाते हुए कल्पना एवम् दृश्यीकृत करें। यह रक्त की गुणवत्ता सुधारने के लिए है। H तथा
5 में प्रेषित प्राणशक्ति का स्थिरीकरण न करें। (छ) सप्ताह में तीन बार इलाज करें। इलाज दो से तीन माह तक चल
सकता है। उपक्रम (१६) यकृत शोथ- Hepatitis
दिव्य दृष्टि से देखने पर इस रोगी का जिगर का रंग मटमैला लाल दिखाई देता है। उनका आंतरिक स्वास्थ्य व बाहरी प्रभामण्डल भूरापन लिए हुए और कमजोर होता है। जिगर में प्राणशक्ति कमजोर या घनी या दोनों स्थिति एक साथ हो सकती है। 6 भी कमजोर होता है। (क) GS (३ या ४) (ख) CL (आगे, पीछे, दाये, बांये)(३० से १०० या उससे अधिक बार) (ग) c' 6/E6f (घ) T ( दाहिनी ओर की सबसे नीचे की पसली के बीच में स्थित L का
लघु चक्र) IC' L ((चारों ओर) (ङ) C' 5 / E (च) शरीर में ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने व प्रतिरोधी तंत्र को शक्तिशाली बनाने
के लिए T (1, 4, H, S) - H, s को ऊर्जित करते समय प्राणशक्ति ऊर्जा या सफेद प्रकाश की कल्पना या दृश्यीकृत करें कि वह हड्डियों के भीतर प्रवेश कर रही है। H तथा s में प्रेषित प्राणशक्ति का स्थिरीकरण न करें। यदि रोगी को बुखार हो तो 1 को ऊर्जित न
करें क्योंकि इससे तापमान बढ़ सकता है। (छ) जब तक जरूरी हो, सप्ताह में तीन दिन उपचार करें, इसमें कई-कई
महीने लग सकते हैं। तीव्र रोग में कुछ दिनों तक दिन में चार या पांच