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(6) त्रिलोक- जीवों के विषय में कुछ ज्ञातव्य बातें (क) योनि
आकृति योनि
गुण सोनि
शंखावर्त (जिसके भीतर शंख के समान चक्कर पड़े हों)- इसमें नियम से गर्भ वर्जित है। -कूर्मोन्नत (जो कछुआ की पीठ की तरह उठी हुई हो)-- इसमें तीर्थंकर, चक्रवर्ती, अर्धचक्री, बलभद्र तथा अन्य महान पुरुष उत्पन्न होते हैं। -वंशपत्र (जो बांस के पत्ते के समान लम्बी हो)- इसमें साधारण पुरुष उत्पन्न होते हैं।
सचित्त (सम्मूर्छन) अचित्त (उपपाद जन्म-देव/ नारकी, सम्मूर्छन) मिश्र (सचित्ताचित्त) (गर्भ, जन्म, सम्मूर्छन) शीत (उपपाद जन्म, गर्भ, सम्मूर्छन) उष्ण (उपपाद जन्म, गर्भ सम्मूर्छन) मिश्र (शीतोष्ण) (गर्भ, सम्मूर्छन) संवृत (ढका हुआ) (उपपाद जन्म, एकेन्द्रिय जीव) विवृत (खुला हुआ) (विकलेन्द्रिय, पञ्चेन्द्रिय सम्मूर्छन जीव) मिश्र (संवृत और विवृत की अपेक्षा) (गर्भज) सामान्य से उक्त नवभेद होते
हैं।
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