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अध्याय – ५
प्राण-ऊर्जा द्वारा शारीरिक रोगों का उपचार माध्यमिक प्राणशक्ति उपचार- Intermediate Pranic Healing १. प्राणशक्ति बढ़ाना
इसमें सभी नियम वही हैं, जो पहले वर्णित किये जा चुके हैं। आपने अध्याय ४ में वर्णित प्रारम्भिक स्तर पर अपने हाथ चक्र द्वारा प्राणशक्ति प्राप्त करने का तरीका सीखा । आशा है कि आपने अनेक रोगियों का इस पद्धति से अब तक उपचार किया होगा और आपको थोड़ा अनुभव एवम् आत्मविश्वास भी प्राप्त हुआ होगा। अब माध्यमिक स्तर पर विभिन्न उपायों से अपनी प्राणशक्ति ऊर्जा के स्तर में और अधिक वृद्धि करेंगे, ताकि उपचारक की उपचार -योग्यता और अधिक बढ़ सके। अपनी प्राणशक्ति ऊर्जा बढ़ाने की पद्धतियां निम्नलिखित हैं : २. प्राणशक्ति श्वसन पद्धति
इस प्रक्रिया में आपको इतनी ऊर्जा प्राप्त होती है कि आपका ऊर्जा आभा मण्डल कुछ समय के लिये शत प्रतिशत या अधिक बढ़ जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान उपचारक अधिक शक्तिशाली हो जाता है । उसका वायवी शरीर चमकदार और घना हो जाता है। इन सभी को जांच करके प्रमाणित किया जा सकता है। (क) धीरे-धीरे पेट के अन्दर सांस लें, किन्तु फेंफड़ों में सांस नहीं जानी चाहिए।
फिर एक गिनने तक रुकें। (ख) धीरे-धीरे सांस बाहर छोड़ें और फिर एक गिनने तक रुकें।
जब पेट के अन्दर सांस खींचते हैं, तब आपका पेट थोड़ा फूल जाता है और जब आप सांस छोड़ते हैं, तब पेट थोड़ा सिकुड़ जाता है। अपने पेट को न तो अधिक फुलाएं, न ही अधिक सिकोड़ें। इससे सांस लेने में बेकार की कठिनाई होगी।