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हाथ से प्रक्षेपित करना आसान होता है। इसी प्रकार बांये हाथ से काम करने वाले व्यक्ति को दाए हाथ से सोखना और बाएं हाथ से प्रक्षेपित करने में आसानी होती है।
प्रत्येक उंगली में एक छोटा चक्र होता है। ये चक्र भी प्राणशक्ति को सोखने व छोड़ने की क्षमता रखते हैं। हाथ चक्र कम और हल्की प्राणशक्ति छोड़ते हैं जबकि उंगली चक्र गहन और प्रबल प्राणशक्ति छोड़ते हैं। बच्चों, बूढ़ों और कमजोर रोगियों को हाथ चक्र द्वारा धीरे-धीरे और हल्के से ऊर्जित किया जाता है। हाथ चक्रों को उत्तेजित या जाग्रत करने से हाथों में संवेदनशीलता आ जाती है। इससे उनमें सूक्ष्म पदार्थों को अनुभव करने और विभिन्न आभाओं को अच्छी तरह जाँचने की योग्यता विकसित होती है। इसी जाँचने की प्रक्रिया द्वारा उपचारक जीवद्रव्य शरीर में रोगग्रस्त क्षेत्रों को ढूंढ़ सकता है। इसको जांचना अथवा स्कैनिंग (scanning) कहते हैं ।
(3) उपचार करने के लिए स्थान
उपचार बन्द कमरे अथवा खुले स्थान में किया जा सकता है।
प्राणिक जनरेटर (Pranic Generators) (उत्पादक)
चार दिशात्मक अपना तीन दिशात्मक पिरैमिड (Pyramid ) तथा शंकु (cone ) की आकृतियां अपने अन्दर प्राणिक ऊर्जा का उत्पादन करते हैं, इसलिये ये प्राणिक उत्पादक कहलाते हैं। इस सम्बन्ध में किये गये प्रयोग बताते हैं कि शंकु के आकार का सिर पर आवरण (headgear) से सोचने की शक्ति बढ़ती है और जल्दी से अभ्रमित निर्णय लेने में सहायता मिलती है। शायद इसी कारण से प्राचीन समय में जादूगरादि शंकु आकार की टोपी पहनते थे । इन प्राणिक उत्पादकों में वायु ऊर्जा, लगभग भू. ऊर्जा के बराबर ही घनी होती है। इन प्राणिक उत्पादकों के अन्दर उपचार करने से उपचार में आसानी और शीघ्रता हो जाती है क्योंकि उसके अन्दर पहले से ही घनी ऊर्जा विद्यमान होती है।
अक्सर करके उक्त प्रकार के तीन दिशात्मक प्राणिक उत्पादक उपलब्ध नहीं हो पाते। इनके स्थान पर दो-दिशात्मक प्राणिक उत्पादक इस्तेमाल किये जा सकते हैं। समान - केन्द्र वाले राम - चतुर्भुज (square) त्रिकोण एवं वृत्त इनके उदाहरण हैं, जैसा चित्र ५.०२ में दिखाया है । यद्यपि ये तीन - दिशात्मक आकृतियों से कम शक्तिशाली होते हैं, फिर भी काफी शक्तिशाली होते हैं। किसी एक जगह एक ही डिजायन के
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