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________________ स्वर्ग का नाम/ विवरण | अग्र | इन्द्र की । जघन्य | उत्कृष्ट | जघन्य | उत्कृष्ट | देवों के | किन (महा) | समस्त । आयु | आयु आयु आयु आयु | शरीर | तीर्थकर देवियों | देवांगनाओं | देवों की | देवों की देवियों की देवियों | की बालकों के का का प्रमाण की ऊँचाई वस्त्र प्रमाण आभरणादि यहाँ रखे रहते हैं शतार पल्य हाथ अधिक १६ सागर सहस्त्रार ४.१२५ २५ पल्य २७ पल्य आनत २.०६३ २७ पल्य | ३४ २७ सागर ३ हाथ अधिक पल्य १८ सागर प्राणत । ८ २,०६३ २,०६३ ३४ पल्य |४१ पल्य आरण कुछ अधिक २२ सागर ४१ पल्य | ४८ पल्य २० सागर अच्युत | ८ | २,०६३ ४८ पल्य ५५ " - | पल्य | योग । ६६ । ५.३५,१२७ , नोट- आयु का उपरोक्त प्रमाण बद्धायुष्क (जिन्होंने इन्हीं स्वगों की आयु बांधी होती है) के प्रति कहा गया है। घातायुष्क (जो उच्च स्वर्ग की आयु बांध लेते हैं; किन्तु बाद में परिणामों की मलिनता के फलस्वरूप निम्न स्वर्ग में जन्म लेते हैं) के प्रति आयु निम्नवत है (जहां इन दोनों में अन्तर है, केवल वही नीचे दिये गये हैं):जघन्य- सौधर्म-ईशान कल्प में आधा पल्य अधिक। उत्कृष्ट- सौधर्म ईशान कल्प से लेकर शतार-सहस्त्रार कल्प तक- अपनी-अपनी उत्कृष्ट आयु से आधा सागर अधिक । १.३४
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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