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(२) उच्च श्रेणी के सृजनात्मक कार्य जिसमें अति सावधानी, सूक्ष्म कार्यशैली
होती है (higher creativity requiring meticulours working)| इसके
उदाहरण दक्ष रंग करने वाला, मूर्तिकार, पढ़ाई करने वाला नियोजक हैं। (३) धैर्यपूर्वक विस्तारयुक्त कार्य (working out details requiring perseverance) (४) निम्न मानसिक क्षमता/योग्यता (Lower mental faculty or the concrete
mind) (concrete means 'existing in material form, real, definite') (५) निम्न श्रेणी की चेतना (Lower consciousness) (६) चिन्ता, व्यग्रता, उलझन। इस कारण स्त्रियां ज्यादा चिन्तित रहती हैं एवम् आम तौर पर उलझनों/ घबराहटों में (confused) रहती हैं |
गुणा आ' तौर पर काम धैर्यशाली होते हैं, जबकि स्त्रियां अधिक धैर्यशाली होती हैं।
जब कण्ठ चक्र शक्तिशाली और क्रियाशील होता है, तो काम चक्र भी काफी क्रियाशील होता है। इसी कारण से रचनात्मक कलाकारों को तीव्र कामाभिलाषा होती है। यह इस कारण है कि जबकि कण्ठचक्र उच्च श्रेणी के सृजनात्मक गतिविधियों का केन्द्र है, काम चक्र निम्न श्रेणी के सृजनात्मक गतिविधियों का केन्द्र होता है और इन दोनों का Higher
correspondence (उच्च श्रेणी का सम्बन्ध) होता है। (ग) चक्र के गलत ढंग से कार्य करने के कारण रोग
शारीरिक- गले से सम्बन्धित रोग जैसे गलकण्ठ (goiter), गले में खराश, आवाज का चले जाना, अस्थमा । मनो- हकलाना, खाते रहने की प्रवृत्ति, झूठ बोलने की प्रवृत्ति, चोरी करने की
प्रवृत्ति, धूम्रपान करना, शराब की लत, स्व-प्रकटता (self expression) की कमी। (घ) विविध- इस चक्र में १६ पटल होते हैं। इसमें मुख्यतः नीले रंग की प्राण ऊर्जा,
कुछ हरे व बैंगनी रंग के प्राण ऊर्जा के साथ होती है। खाना खाते समय काफी मात्रा में हरे रंग की ऊर्जा पैदा होती है जो खाना पचाने में सहायता करती है।
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