________________
का जैसा चित्र ४.०८ में दर्शाया है। चक्रों की शरीर में स्थिति चित्र ४.०६ में दी गयी
।
जैसा कि चित्र ४.०८ में दर्शाया गया है, ऊर्जा चक्र मैरिडियन्स से जुड़े होते हैं। इन चक्रों में ऊर्जा की पंखुड़ियां (energy petals) होती हैं। यह चक्र बारी-बारी से घड़ी की विपरीत दिशा तथा घड़ी की दिशा में घूमते रहते हैं। घड़ी के विपरीत दिशा में जब कोई चक्र घूमता है, तो अन्दर से इस्तेमाल हुई ऊर्जा बाहर निकलती है और जब घड़ी की दिशा में चक्र घूमता है तो बाहर से ताजा ऊर्जा चक्र के अन्दर प्रवेश कर जाती है। इस ऊर्जा चक्र के अन्दर एक ऊर्जा की चलनी भी होती है, जिसका व्यास चक्र के व्यास से लगभग एक इंच कम होता है। यह चलनी (Filter) बाहर से अन्दर आने वाली ऊर्जा के अन्तर्गत नकारात्मक तथा हानिकारक तत्वों को रोकती है। कुविचारों के निमित्त से पैदा हुई नकारात्मक मनो ऊर्जा (negative psychic energies) इस प्रकार ऊर्जा की चलनी (energy filter या web) की जाली पर रुक जाती है। चित्र ४.१० में चक्र की रचना को दर्शाया गया है।
अध्याय ११ मुख्य ऊर्जा चक्रों का कार्य
एवम् शरीर पर प्रभाव चक्र या तेजी से घूमने वाले ऊर्जा केंद्र जीवद्रव्य शरीर के बहुत ही आवश्यक अंग है। जिस प्रकार दिखाई देने वाले शरीर में छोटे और विशिष्टि अंग होते हैं उसी प्रकार जीवद्रव्य शरीर में भी बड़े, छोटे और सूक्ष्म चक्र होते हैं। बड़े चक्र लगभग तीन-चार इंच के तेजी से घूमने वाले ऊर्जा केंद्र होते हैं। ये दिखाई देने वाले भौतिक शरीर के बड़े और आवश्यक अंगों को ऊर्जा देते हैं और उन्हें नियंत्रित करते हैं। ये बड़े चक्र एक प्रकार से ऊर्जा घर जैसा कार्य करते हैं। जब ये ऊर्जा घर ठीक से काम नहीं करते तब अंग विशेष बीमार हो जाता है क्योंकि पूरी तरह ऊर्जा नहीं मिलने के कारण वह ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर पाता। छोटे चक्र लगभग एक से दो इंच तक के होते हैं | सूक्ष्म चक्र एक इंच से छोटे होते हैं। छोटे और सूक्ष्म चक्र भौतिक शरीर के
४.२२