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________________ | दर्शन से यह पता चला है कि रात्रि की अपेक्षा दिन में अधिक प्राण शक्ति पायी जाती है. सम्भवतः रात्रि में दिन की अपेक्षा अधिक मृत्यु इस कारण से होती है। अध्याय ६ प्राण ऊर्जा और रंग साधारणतः प्राणशक्ति सफेद रंग की होती है, जो साधारण व्यक्ति को दृष्टिगोचर नहीं होती है। विज्ञान में सफेद रंग की रचना VIBGYOR (Violet, Indigo, Blue, Green, Yellow, Orange, Red अर्थात बैंगनी, नील, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल) रंगों से होती है। नील और नीला रंग लगभग एक सा ही होता है। प्राण ऊर्जा के सफेद रंग की रचना छ रमों से होती है। अर्थात बैंगनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल । प्रेम, स्नेह और करुणा की प्राण ऊर्जा गुलाबी रंग की होती है। इसके अतिरिक्त दिव्य ऊर्जा भी होती है जो सामान्यतः आध्यात्मिक व्यक्तियों के होती है। यह अत्यधिक चमकती हुई सफेद रंग अथवा विद्युतीय बैंगनी या सुनहरे रंग की होती है। इसका विस्तृत वर्णन आगे भाग ५ के अध्याय ८ में किया गया है। जब विद्युतीय बैंगनी ऊर्जा जीव द्रव्य के सम्पर्क में आती है, तो वह धीरे-धीरे स्वर्णमयी ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है । फिर जब वह सुनहरी ऊर्जा को शरीर सोख लेता है, तो इसका रंग हल्का लाल हो जाता है F अध्याय १० ऊर्जा चक्र भाग ३– “शरीर रक्षा" के अध्याय १ में हमने देखा कि योग विद्या के अनुसार भौतिक शरीर का संचालन सात मुख्य चक्रों (मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्ध, आज्ञा और सहस्त्रार ) द्वारा होता है जो चित्र ३०१ में दर्शाये हैं। इसी प्रकार जीव द्रव्य शरीर का संचालन ग्यारह प्रमुख ऊर्जा चक्रों द्वारा होता है। इनमें से प्लीहा चक्र के अतिरिक्त अन्य दस चक्र दो प्रमुख ऊर्जा चैनलों (Channels ) जो मैरिडियन्स (Meridians) कहलाते हैं, उन पर अवस्थित होते हैं- एक सामने का और दूसरा पीछे ४.१९
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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