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________________ हुए बगैर रह नहीं पाता। जैसे यदि जीव द्रव्य शरीर का गला कमजोर हो तो इसका प्रभाव भौतिक शरीर पर खांसी, सर्दी, गले में खराश, टांन्सिलाइटिस या गले की अन्य बीमारियों के रूप में पड़ता है। किसी दुर्घटना में यदि चमड़ी छिल जाये तो जहां से खून बह रहा होता है वहाँ से प्राणशक्ति का रिसाव होता है । प्राणशक्ति के घने होने या उसमें कमी (depletion) होने से यदि जीव द्रव्य शरीर कमजोर हो जाता है तो भौतिक शरीर या तो ठीक से काम नहीं कर पायेगा या फिर उसके बीमारियों को ग्रहण करने की आशंका बहुत बढ़ जाती है। सामान्यतः रोग पहले जीव द्रव्य शरीर में प्रवेश करते हैं। रोग के लक्षण उभरने से पहले ही उनके उपचारादि करके बचाव किया जा सकता है । प्राणशक्ति उपचारक जांच द्वारा यह जान सकते हैं कि रोगग्रसित अंग की आंतरिक आभा सामान्य से छोटे या बड़े आकार की हो गई है। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति को पीलिया होने वाला हो तो दिव्य दर्शन द्वारा यह देखा जा सकता है कि उस रोगी का सौर जालिका (Solar Plexus ) और यकृत भूरे रंग का है। मैडिकल परीक्षण से वह रोगी सामान्य और स्वस्थ दिखाई देगा। यदि इस रोगी का इलाज न किया गया तो बीमारी के लक्षण कुछ समय बाद भौतिक शरीर पर प्रकट हो जायेंगे। यह इलाज जीव द्रव्य शरीर के प्राणशक्ति उपचारक द्वारा अथवा समुचित दवाइयों द्वारा भौतिक शरीर के उपचार द्वारा किया जा सकता है, अथवा दोनों प्रकार के उपचारों द्वारा । (२) जीवद्रव्य शरीर और मन दिव्यदर्शियों ने यह देखा है कि जीव द्रव्य शरीर के अनुसार भौतिक शरीर का गठन होता है। मन जानबूझकर या अनजाने में ही जीव द्रव्य शरीर को प्रभावित करता है। गूढ़ विज्ञान के जानकार व्यक्ति अपनी गर्भवती पत्नियों को सुन्दर वस्तुओं को देखने, मनमोहक संगीत सुनने, सकारात्मक सोचने और महसूस करने, गम्भीर अध्ययन करने और विरोध से बचने के लिए प्रेरित करते हैं। ये गतिविधियाँ जन्म लेने वाले शिशु की न केवल शारीरिक संरचना को बल्कि उसी भावनात्मक व मानसिक शक्ति और प्रवृत्तियों को भी प्रभावित करती है। इसको हम एक प्रकार से संस्कार डालना भी कह सकते हैं। पूज्य श्री १०८ कुन्दकुन्दाचार्य जी की सुयोग्य माताश्री द्वारा इस प्रकार संस्कार डालने का उदाहरण प्रासंगिक होगा। ४.१४
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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