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________________ शरीर से तेजमयी शरीर का संकेत मिलता है जो कि ऊर्जा का पर्यायवाची हो सकता है । जीव द्रव्य अथवा ऊर्जा शरीर की किर्लियन फोटोग्राफी द्वारा ली गई फोटो जो सम्बन्धित पुस्तक में उपलब्ध है, उसकी प्रति चित्र ४.०१ में दी गई है । भारतवर्ष में किर्लियन फोटोग्राफी का उपकरण अखिल भारतवर्षीय प्राणिक हीलिंग फाउन्डेशन ट्रस्ट, दूसरा फ्लोर, सौना टॉवर्स ७१ मिलर्स रोड, बंगलौर-- ५६००५२ (All India Pranic Healing Foundation Trust (Affiliated to World Pranic Healing Foundation Inc. Manila, Philippines ), 2nd Floor, Sona Towers, 71, Millers Road, Bangalore560052} में उपलब्ध है । अध्याय ४ ऊर्जा शरीर और आभा मण्डल जीव द्रव्य शरीर दिखाई देने वाले भौतिक शरीर को भेदकर बाहर की ओर साधारणतः चार से पांच इंच तक फैला रहता है, जिसका आकार भौतिक शरीर के आकार के ही तरह होता है। यह आन्तरिक आभा मण्डल (Inner Aura) कहलाता है जब जीव द्रव्य शरीर बीमार हो जाता है तब इस शरीर की प्राणशक्ति भी अस्वस्थ हो जाती है, अर्थात रोगग्रस्त ऊर्जा आंशिक तौर पर किसी जगह पर या पूरी जगह पैदा हो जाती है। पीड़ित अंग के पास की आन्तरिक आभा चार-पांच इंच के बजाय कम (depletion) हो जाती है अथवा कभी-कभी अधिक (congestion) भी हो जाती है, अर्थात कहीं खालीपन हो सकता है और कहीं घनापन हो सकता है। उदाहरण के तौर पर नजदीक की वस्तुएं न देख सकने वाले व्यक्ति की आंखों के आसपास की प्राण शक्ति कम होती है, यह दो इंच तक छोटी हो सकती है। कुछ केसों में यह आंतरिक आभा आधा इंच या उससे कम आकार तक भी हो जाती है। आभा को महसूस करने की प्रक्रिया को "जांचना" या स्कैनिंग (scanning) कहते हैं । ' इस सम्बन्ध में मुझे किसी जैन शास्त्र में कोई वर्णन नहीं मिला है और यह लेख मात्र तर्क से है। यदि किसी विद्वजन ने इस सम्बन्ध में कहीं किसी जैन शास्त्र में कोई वर्णन पढ़ा हो तो उस शास्त्र का नाम, पृष्ठ संख्या तथा वास्तविक वर्णन भुझे बताने की कृपा करें एवम् इस लेख को तदनुसार सुधार लें। ४. १०
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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