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________________ (१) आहार केवल दिन में ही लें। (२) ऐसे गैहूं का आटा उपयोग करें, जिससे चोकर न निकाला गया हो। चावल ऐसे हों जो मशीन द्वारा पॉलिश न किए हुए हों। (३) तली वस्तुओं का उपयोग कम करें। (४) आहार में दूध, छाछ और दही अधिक मात्रा में लें। दूध और छाछ--दही दोनों एक साथ न लें। (५) ऋतु के अनुसार फल तथा सब्जी का सेवन करें। (६) सलाद का सेवन करें। (७) खाने को अच्छी प्रकार चबाएँ। (८) दो बार के भोजन के बीच में पांच-छह घंटे का अंतराल रखें। (६) पेट-जठर भी एक यंत्र है। उसे भी सप्ताह में दो जून पर्याप्त विश्राम दें। उपवास रखें अथवा मात्र फल, फल का रस व कुनकुना गरम पानी लें। (१०) काली मिर्च, करेला, नीम और मैथी जैसे कडुए पदार्थ व सूर्य स्नान, कसरत बगैर से जठराग्नि प्रदीप्त रहती है, जबकि ठंडे पानी. ठंडे पेय और आइसक्रीम से जठराग्नि मन्द पड़ती है तथा पाचनशक्ति पर बोझ पड़ता है। (११) छिल्के वाली दाल खाएँ । (१२) अंकुरित चना, अंकुरित गेहूँ तथा अंकुरित साबुत मूंग का उपयोग करें। (१३) खाने के समय फ्रिज का पानी न पियें। इससे दाँत व मसूढ़े कमजोर होते हैं एवम् जठराग्नि मन्द पड़ती है। खाने के समय कम से कम पानी लें (चौथाई ग्लास)। खाने के समय विभिन्न प्रकार के पाचन रस पानी से पतले हो जाते हैं जिससे उनकी पाचन शक्ति क्षीण पड़ जाती है। खाने के एक-दो घंटे बाद पानी अवश्य पीएं चाहे जितनी मात्रा में लें। - - - (१४) -. ३.३५
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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