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________________ (ट) अन्य आसन यदि कोई अन्य असा करने हो, तो करें। (ठ) ओऽम् का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन अथवा सुविधाजनक आसन में बैठकर दोनों हाथों में अंगूठे के पोटूए से तर्जनी अंगुली के पोटूए को स्पर्श करें। फिर दीर्घ श्वास लेकर ओऽम् की जोर से ध्वनि करते हुए देर तक धीरे-धीरे श्वास निकालें। चिन्तन करें कि इस ध्वनि द्वारा आप त्रिलोक में विराजमान समस्त चैत्यालय व जिन विम्बों के चरणों में नमोऽस्तु कर रहे हैं। इस प्रकार तीन बार करें। (ड) शवासन ___ समस्त शारिरीक क्रियाओं (प्रातः भ्रमण, प्राणायाम, व्यायाम, योगासन) के पश्चात यह आसन अवश्य करना चाहिये। पीठ के बल सीधे लेट जायें। दोनों पैरों में लगभग एक फुट का अन्तर रखें, दोनों हाथों को जंघाओं से थोड़ी दूरी पर रखते हुए हथेलियों को ऊपर की ओर खोलकर रखें। आंखें बन्द, गर्दन सीधी, पूरा शरीर तनाव रहित अवस्था में हो। धीरे-धीरे चार-पाँच लम्बे श्वास भरें व छोड़ें। अब मन द्वारा शरीर के प्रत्येक भाग को देखते हुए संकल्प द्वारा एक-एक अवयव को शिथिल व तनाव रहित अवस्था में अनुभव करना है। बन्द आँखों से ही मन के द्वारा विचार करें कि विश्रान्ति (relaxation) (१) खोपड़ी (Scalp), पिनीयल ग्रंथि (pineal gland), मस्तिष्क (brain) के बाँए भाग में, दाँए भाग में, पिछले भाग में, आगे के भाग में, मध्य भाग में तथा इस प्रकार सम्पूर्ण मस्तिष्क में प्रवाहित हो रही है और खोपड़ी. पिनीयल ग्रंथि व सम्पूर्ण मस्तिष्क आराम कर रहा है और ये सब अंग पूर्ण विश्रान्ति में हैं। इस विश्रान्ति की अनुभूति भी करें। इस प्रकार की भावना क्रमशः (२) मस्तिष्क के पिछले भाग से लेकर रीढ़ की हड्डी से नीचे तक (३) माथा, आंखें, कनपटी, कानों, नाक, पिटूयट्री ग्रंथि (pituitary gland), गाल, तालु, ऊपर के मसूढ़े, ऊपर के दाँत, टौन्सिल, जीभ, नीचे के दाँत, नीचे के मसूड़े, सम्पूर्ण मुँह एवं सम्पूर्ण सिर (४) गला, थाइराइड ग्रंथि (thyroid gland), पैराथाइराइड ग्रंथि (parathyroid gland), सम्पूर्ण गर्दन (५) कंधे, कंधों का जोड़, बाहु
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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