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________________ अध्याय – १५ प्रजनन तंत्र - Reproductive System १. स्त्री के जननाङ्ग - (क) बाह्य अंग - यह सब मिलाकर Vulva कहलाते हैं। यह चित्र २.४. में। दर्शाये गये हैं। (ख) आंतरिक अंग - ये चित्र २.४७ तथा २.४६ में दर्शाये गये हैं। अंडाशय प्रति २८ दिनों में एक अंडा (प्रति अंडाशय) तैयार करता है। अंडे का व्यास ०.१ -- ०.२ मिलीमीटर होता है, जो कि शुक्राणु के सिर के भाग से ५० गुना चौड़ा होता है। अंडा यदि Uterine tube में मनुष्य के शुक्राणु द्वारा समागम से गर्भ नहीं बनता, तो नष्ट हो जाता है। अंडाशय के कार्यादि का विवरण अध्याय १० में अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियाँ-क्रम संख्या ८ पर दिया है। २. पुरुष के जननांङ्ग - पुरूष का मूत्र मार्ग स्त्री के मूत्र मार्ग कर तरह genital tract से अलग नहीं होता। पुरुष का मूत्र मार्ग (Urethra) मूत्राशय (Bladder) के पश्चात् प्रोस्टेट ग्रन्थि (Prostrate gland) के बीच में से होकर जाता है और ७ इंच से लेकर ६ इंच तक लम्बा होता है, तत्पश्चात् ६० का मोड़ लेकर पैरिनियम (perineurn) के मध्य से गुजरकर शिश्न में जाता है। अण्डकोष (Testes) में Testosterene harmone तथा Sex cells (spermatozoa या sperm ) (शुक्राणुओं) का निर्माण होता है। इसका वर्णन अध्याय १० में अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियों के क्रम संख्या ६ तथा चित्र २.३२ पर दिया है। इन अण्डकोषों में लगभग १,००० seminiferous tubules होते हैं जहाँ शुक्राणु (sperm) का उत्पादन होता है। ये शुक्राणु एक तरल स्त्राव में पाये जाते हैं, जिसके साथ लिकर ये शुक्रीय तरल (वीर्य) बनाते हैं। ये शुक्राणु अण्डकोष से Epididymis में होते हुए एक पतली नली (vas deferns) लगभग ४० से ५० सैन्टीमीटर लम्बी के द्वारा शुक्राशय ( seminal vesicle) तक जाते हैं, तथा मूत्र मार्ग (Urethra) से भी connect रहते है। इस शुक्राशय में शुक्रीय तरल (वीर्य) स्टोर रहता है। २.७१
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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