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(ड)
८.
(ढ़)
बहुत से पदार्थ जैसे glycogen, fats, vitamins और irons का भंडार करता है। Fat-soluble vitamins A तथा D इसमें स्टोर होते हैं ।
यह शरीर के तापक्रम को यथावत रखने (maintain करने ) में सहायक होता है। इसके आकार ( size) के कारण metabolic activities ज्यादा होने के कारण इसमें से बहने वाले रक्त का तापमान बढ़ जाता है।
(ण) बृहदांत्र से प्राप्त विषैले पदार्थ (इंडोल, स्कैटोल इत्यादि) को आविष यौगिकों में रूपान्तरण करके, गुर्दे में भेजकर मूत्र के द्वारा शरीर से बाहर कर दिया जाता है ।
पित्ताशय
Gall Bladder
यह लगभग ३-४ इंच लम्बा होता है ओर लगभग ६० मिली लीटर क्षमता वाला होता है । यह bile (पित्त) के लिए भंडार (reservoir) का काम करता है तथा पित्त को concentrate करने का भी काम करता है। देखिये चित्र २४४ ।
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भोजन करने के आधा घंटे के अन्दर यह पित्त को पक्वाशय (duodenum) में भेजता है । पित्त, यकृत द्वारा बनाया गया क्षारीय द्रव होता है, जिसमें ८६ प्रतिशत पानी होता है तथा Bile salts, Bile Pigments, Cholesterol, mucin और अन्य पदार्थ होते हैं।
Bile Pigments reticulo endothelial system (विशेष तौर पर spleen तथा bone marrow) में नष्ट किये लाल रक्त कणों के haemoglobin से बनता है, जो यकृत को भेज दिया जाता है, जहाँ से पित्त के रूप में बाहर निकलता है। ये क्षुद्रांत्र को जाते हैं । कुछ stercobilin बनते हैं जिनसे मल को रंग मिलता है. कुछ पुनः रक्त-धारा में आ जाते हैं और मूत्र को रंग देने वाले urobilin बन जाते हैं। इनका पाचन सम्बन्धी कोई कार्य नहीं होता है।
Bile salts पाचक होते हैं और fat-splitting ferment lipase को सक्रिय (activate) करते हैं। यह पचे हुए fat (glycerin और fatty acids ) को क्षुद्रांत्र से सोखने में भी सहायक होते हैं।
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