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________________ यकृत Liver यह शरीर में सबसे बड़ी ग्रन्थि है। इसका भार लगभग १५ किलोग्राम होता है। यह डायफ्राम (diaphragm ) के नीचे पसलियों द्वारा सुरक्षित रहता है। इसके दो भाग (Lobes) होते हैं, दाँया तथा बाँया । ऊपर की सतह convex होती है, नीचे की सतह अनियमित (Irregular) होती है। इसको रक्त की उबल सप्लाई मिलती है :(क) Hepatic धमनी (Artery)- यह Aorta से आती है और रक्त का बीस प्रतिशत भाग यकृत को आता है। इसमें ऑक्सीजन ६५ से १०० प्रतिशत तक होती है। (ख) Portal Vein यह प्लीहा (Spleen) से आती है। रक्त का अस्सी प्रतिशत भाग आता है। इसमें ऑक्सीजन सत्तर प्रतिशत तक होती है, क्योंकि ऑक्सीजन का कुछ भाग प्लीहा तथा आँतें ले लेते हैं। इसमें वह पोषक तत्व जो क्षुद्रांत्र से अवशोषित किये जाते हैं, होते हैं । 13. — - (ख) यकृत से जाने वाली Hepatic नस (Vein) रक्त inferior vena cava को लौटाते हैं, तथा पित्त की नलियां यकृत के कोशिकाओं से पित्त (bile) इकट्ठा करते हैं। देखिये चित्र २.४४ । यकृत के अनेक कार्य होते हैं : (क) क्षुद्रांत्र से प्राप्त रक्त जिसमें (chemicals) बनाता है। पोषक तत्व होते है, उनसे नये रसायन (ग) यकृत में पोषक तत्व स्टोर रहते हैं। जब शरीर को आवश्यक्ता होती हैं, तो यह ग्लाईकोजिन (giycogen) पदार्थ में तब्दील हो जाते हैं। जब शरीर को ऊर्जा चाहिए होती है, तब यह फिर glycogen को ऊर्जा देने वाली ग्लूकोज़ (glucose) में परिवर्तित कर देता है और रक्त की सप्लाई में भेज देता है । कभी-कभी जब शरीर की आवश्यक्ता से अधिक एमिनो एसिड ( Amino acid ) होते हैं, तो यह कुछ को कार्बोहाइड्रेट ( Carbohydrate) में बदल देता है जिससे ऊर्जा मिलती है और शेष को यूरिया (Urea ) नामक व्यर्थ के पदार्थ (waste) में बदल देता है। यह यूरिया गुर्दों में जाता है, जहाँ से मूत्र में होकर बाहर निकल जाता है । २.५७
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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