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________________ जिसे सूर्य या चन्द्र के मध्य भाग में काले या सुरमई रंग की रेखा दिखाई दे चन्द्रबिम्ब में लाल रंग के और सूर्य में काले रंग के धब्बे दिखाई दें, सूर्य बिम्ब लोहित वर्ण का और चन्द्र बिम्ब हरित वर्ण का दिखाई दे, सूर्य-चन्द्र के बिम्बों को अथवा उनके किसी अन्त को बाणों से बिद्ध देखे, चन्द्रमा को मंगल और गुरु के मध्य देखे अथवा वह जाज्वल्यमान शुक्र ग्रह के समानान्तर दिखाई पड़े तथा मीन राशि की स्थिति चंचल मालूम हो, वह छह मास से आधक जीवित नहीं रहता। इस प्रकार अन्य चार, तीन और दो आदि मासों के अनेक रिष्ट दर्शन है. जिन्हें आगम से जानना चाहिए। (ग) रूपस्थ रिष्ट जहाँ रूप दिखाया जाए वहाँ रूपस्थ रिष्ट कहा जाता है। यह छायापुरुष स्वप्नदर्शन, प्रत्यक्ष, अनुमानजन्य और प्रश्न द्वारा देखा जाता है। इसके देखने की विधि एवम् अन्य सभी प्रयोग "रिष्ट समुच्चय ग्रन्थ से जानने चाहिए। संदर्भसमाधि दीपक - सम्पादिका श्री १०५ आर्यिका विशुद्धमती जी (श्री शिवसागर दिगम्बर जैन पुष्पमाला पुष्प ३०, प्रकाशक- श्री शिवसागर दिगम्बर जैन ग्रन्थमाला, शान्तिवीरनगर, श्री महावीर जी (राजस्थान) - गन्धोदक लेने का मंत्र निर्मलं निर्मलीकरणं, पवित्र, पापनाशकम् । जिन-गन्धोदकं वन्दे, अष्टकर्म विनाशकम् ।। १.२५७
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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