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परिशिष्ट १०२
अलौकिक गणित - (उपमामान) - स्कंध, देश, प्रदेश, परमाणु
स्कंध, देश, प्रदेश,
परमाणु
सब प्रकार से समर्थ (सर्वाशपूर्ण) स्कंध, उसके अर्धभाग को देश और आधे के आधे भाग को प्रदेश कहते हैं। स्कंध के अविभागी ( जिसके और विभाग न हो सकें ऐसे ) अंश को परमाणु कहते हैं। जो अत्यन्त तीक्ष्ण शस्त्र से भी छेदा या भेदा नहीं जा सकता तथा जल और अग्नि आदि के द्वारा नाश को भी प्राप्त नहीं होता, वह परमाणु है। जिसमें पांच रसों (तिक्त, कटुक, आम्ल, मधुर और कसायला) में से एक रस, पांच वर्णों (पीत. नील, श्वेत श्याम और लाल) इनमें एक वर्ण, दो गंधों (सुगन्ध और दुर्गन्ध) इनमें से एक गंध और दो स्पर्श (स्निग्ध और रूक्ष में से एक स्पर्श एवम् शीत और उष्ण में से एक स्पर्श ) ( इस प्रकार कुल पांच गुण हैं) और जो स्वयं शब्द रूप न होकर भी शब्द का कारण हैं एवम् स्कन्ध के अन्तर्गत है, उस द्रव्य को परमाणु कहते हैं। जो द्रव्य आदि. मध्य व अन्त से विहीन, प्रदेशों से रहित (अर्थात एक प्रदेशी) हो, इन्द्रिय द्वारा ग्रहण नहीं किया जा सकने वाला और विभाग रहित है, उसे जिन भगवान परमाणु कहते हैं। क्योंकि स्कन्धों के समान परमाणु भी पूरते हैं और गलते हैं, इसलिये पूरण-- गलन क्रियाओं के रहने से वे भी पुद्गल के अन्तर्गत हैं, ऐसा दृष्टिवाद अंग में निर्दिष्ट है। परमाणु स्कन्धों की तरह सब कालों में वर्ण, रस, गन्ध और स्पर्श, इन गुणों में पूरण- गलन क्रिया करते हैं, इसलिए वे पुद्गल ही हैं। जो नय विशेष की अपेक्षा कथंचित मूर्त है और कथंचित अमूर्त है, चार धातु रूप स्कन्ध का कारण है और परिणमन स्वभावी है, उसे परमाणु जानना चाहिए |
नाना प्रकार के अनन्तानन्त परमाणु द्रव्यों का एक 'उवसन्नासन्न' स्कन्ध होता
है
I
8 उवसन्नासन्न
8 सन्नासन्न
= 1 सन्नासन्न नाम का स्कन्ध होता है।
=
1 त्रुटिरेणु नाम का स्कन्ध होता है।
१. १८४