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________________ जघन्य परीतासंख्यात (ajp) का मान निकालने की विधि कल्पना कीजिये कि चार गोल कुण्ड हैं जिनका प्रत्येक का व्यास १ लाख २००० कोस ) और गहराई १००० योजन है, तथा इनके नाम क्रमशः अनवस्था, शलाका, प्रतिशलाका और महाशलाका हैं । योजन (यहाँ १ योजन परिवर्तनशील व्यास अनवस्था कुण्ड = → शलाका कुण्ड O प्रतिशलाका O इनमें से अनवस्था कुण्ड को गोल सरसों से शिखाऊ (पृथ्वी पर अन्न की राशि की तरह) भरना । गणित शास्त्र के अनुसार इस अनवस्था कुण्ड में " कुण्ड O महाशलाका • कुण्ड १६६७११२६३८४५१३१६३६३६३६३६३६३६३६३६३६३६३६३६३६३६३६ - ४ / ११ सरसों समायेगी (अपूर्णांक का ग्रहण नहीं करना ) १. १७८ इस अनवस्था कुण्ड के भरने पर दूसरी एक सरसों अनवस्था कुण्डों की गिनती करने के लिये शलाका कुण्ड में डालनी । मध्य लोक में असंख्यात द्वीप समुद्र हैं जिनमें सबके बीच में जम्बूद्वीप है, जिसका व्यास १ लाख योजन है । जम्बू द्वीप गोल है, जिसके चारों ओर २ लाख योजन चौड़ाई का लवण समुद्र है। इसके चारों ओर धातकीखण्ड द्वीप है, फिर इसी प्रकार घेरे हुए कालोदधि समुद्र, पुष्कर द्वीप आदि असंख्यात द्वीप समुद्र हैं । द्वीप की चौड़ाई से समुद्र की चौड़ाई दूनी और समुद्र की चौड़ाई से द्वीप की चौड़ाई दूनी, इस प्रकार अन्त पर्यन्त तक जानना किसी द्वीप या समुद्र की परिधि ( गोलाई) के एक तट से दूसरे तट की चौड़ाई को सूची (व्यास) कहते हैं। जैसे लवण समुद्र की ५ लाख योजन, धातकीखंड द्वीप की १३ लाख योजन है। किसी भी द्वीप - समुद्र की सूची निकालने के लिए जम्बूद्वीप को पहला द्वीप मानते हुए, इस द्वीप समुद्र की संख्या यदि n है, तो उस द्वीप - समुद्र की सूची = (2+13) लाख योजन होगी । अब अनवस्था कुण्ड में से समस्त सरसों को निकालकर एक द्वीप में एक समुद्र में अनुक्रम से डालते चलिये। जिस द्वीप या समुद्र में सब सरसों पूर्ण होकर
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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