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(छ) ऐसा सुना गया है कि बीसवीं शताब्दी में श्री गुरुयर मुनि महाराज के
शरीर से स्पर्शित वायु द्वारा एक व्यक्ति जिसको श्मसान में चिता घर लिटा दिया गया था, जी उठा था। (सन्दर्भः पूज्य आचार्य श्री १०८ नेमिसागर जी का उपदेश) राजा द्रोण की पुत्री विशल्या (जो बाद में लक्ष्मण की पत्नी बनी) के स्पर्शित जल से युद्ध में निर्जीव प्रायः लक्षमण तथा अन्य घायल राजाओं का दीयः हो गाना (सन्दर्भ: जैन रामायण- रचियता महाकवि खुशालचन्द जी, हिन्दी भाष्यकार चारित्र शिरोमणि आचार्य श्री १०८ ज्ञान
सागर जी) (१३) महामंत्रों की साधना एवम् पीठ से दिव्य ऊर्जा
महामंत्रों में णमोकार मंत्रादि की साधना में अपने स्व-शरीर का नियंत्रण, मन-वचन- काय की एकाग्रता एवम् पीठ में श्मसान पीठ, शव पीठ, अरण्य पीठ, श्यामा पीठ आदि का उल्लेख जिन शासन में आत्मा ऊर्जा के लिए प्राप्त है। (आधारः जैन धर्म की रहस्यमयी गुप्त विद्वायें-संग्रहकर्ता-पूज्य आचार्य श्री १०, दयासागर जी महराज)