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________________ अध्यात्म बारहखड़ी ३०५ गंज गंतव्य पृ. ९० गिरानाथ - बृहस्पति छिनक प्रवादो = बौद्ध गिरपति = सुमेरू छिक छाक - छिद्र, दोष गिलै . निगलता है छोति ___= क्षति धरधारी = धारकों को धारण पृ. ११७ छीतल . शिथिल करनेवाली प. ११८ क्रम - चरण अमाय .. असीम पृ. १२० जात रुपाभ = स्वर्ण को चमक .. गाडी का धुरा जुटित = जुड़े हुए पृ. ९२ छंद = कपट, छंद क्रमाब्ज .. चरण कमल पृ. ९३ गंज = मौहल्ला , बाजार.... - गंजा करना पृ. १२१ जहै ___= छोड़े ___ = जाना चाहिए भिषक वैद्य पृ. ९४ धूसरौं - धूल भरा चित्र ___ = अद्भुत पृ. ९८ उद्र = उदर, पेट पृ. १२२ जातुचित ____ = किंचित पृ. ९९ सिखी - मोर जित = विजयी घौरक - घुडक पृ. १२३ डेडर = मेंढक चंचकांचरन = चमकता हुआ सोना | पृ. १२४ जुनो - अलग पृ. १०२ चतुः शरण - आरहत, सिद्ध, साहू जेहली - आलसी और केवली कथित जेर - हल्के धर्म रूप चार शरण पृ. १२५ जैत - जीत पृ. १०५ चारचारी - आचार का आचरण जौन्ह - चांदनी करनेवाला पृ. १२६ झषध्वज ____ = कामदेव निकूपा - निकम्मा पृ. १२७ झांण = ध्यान चार = दूत झिकाय - तृप्त . १०६ असक्ती = आसक्ती, राग करिमा ___ - कालिमा वोट - आड पृ. १२९ झोक - ऊंघ चीलै - मार्ग पृ. १३० भूति - वैभव, राख धानि - छोड़कर पृ. १३८ ठट्ट ___ = ठाठ, वैभव पृ. १०७ वादि - बेकार ठालिय ____ = ठालापन, पृ. ११० भोर = भ्रम फालतूपन्त पृ. ११४ छक लालसा पृ. १३९ ठूणा - औलंभा छत्रा - ढका हुआ पृ. १४२ ाबा - ऑस दादिका - दाद, शाबासी डाबर - गड्डा छिपा . रात्रि | पृ. १४३ डूगर ___- जादूगर
SR No.090006
Book TitleAdhyatma Barakhadi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatram Kasliwal, Gyanchand Biltiwala
PublisherJain Vidyasansthan Rajasthan
Publication Year
Total Pages314
LanguageDhundhaari
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Religion
File Size3 MB
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