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अध्यात्म बारहखड़ी
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गंज
गंतव्य
पृ. ९० गिरानाथ - बृहस्पति
छिनक प्रवादो = बौद्ध गिरपति = सुमेरू
छिक छाक - छिद्र, दोष गिलै . निगलता है
छोति
___= क्षति धरधारी = धारकों को धारण पृ. ११७ छीतल . शिथिल
करनेवाली प. ११८ क्रम - चरण अमाय .. असीम
पृ. १२० जात रुपाभ = स्वर्ण को चमक .. गाडी का धुरा
जुटित = जुड़े हुए पृ. ९२ छंद = कपट, छंद
क्रमाब्ज .. चरण कमल पृ. ९३ गंज
= मौहल्ला , बाजार.... - गंजा करना
पृ. १२१ जहै ___= छोड़े ___ = जाना चाहिए
भिषक वैद्य पृ. ९४ धूसरौं - धूल भरा
चित्र ___ = अद्भुत पृ. ९८ उद्र = उदर, पेट
पृ. १२२ जातुचित ____ = किंचित पृ. ९९ सिखी - मोर
जित = विजयी घौरक - घुडक
पृ. १२३ डेडर = मेंढक चंचकांचरन = चमकता हुआ सोना | पृ. १२४ जुनो - अलग पृ. १०२ चतुः शरण - आरहत, सिद्ध, साहू
जेहली - आलसी और केवली कथित
जेर - हल्के धर्म रूप चार शरण पृ. १२५ जैत - जीत पृ. १०५ चारचारी - आचार का आचरण
जौन्ह - चांदनी करनेवाला
पृ. १२६ झषध्वज ____ = कामदेव निकूपा - निकम्मा
पृ. १२७ झांण = ध्यान चार = दूत
झिकाय - तृप्त . १०६ असक्ती = आसक्ती, राग
करिमा ___ - कालिमा वोट - आड
पृ. १२९ झोक - ऊंघ चीलै - मार्ग
पृ. १३० भूति - वैभव, राख धानि - छोड़कर
पृ. १३८ ठट्ट ___ = ठाठ, वैभव पृ. १०७ वादि - बेकार
ठालिय ____ = ठालापन, पृ. ११० भोर = भ्रम
फालतूपन्त पृ. ११४ छक लालसा
पृ. १३९ ठूणा - औलंभा छत्रा - ढका हुआ पृ. १४२ ाबा - ऑस दादिका - दाद, शाबासी
डाबर - गड्डा छिपा . रात्रि
| पृ. १४३ डूगर ___- जादूगर