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अध्यात्म बारहखड़ी
इति श्री भक्त्याक्षर मालिका वावनी स्तवन अध्यात्म बारखडी नाम ध्येय उपासना तंत्रे सहस्त्रनाम एकाक्षरी नांममालाद्यनेक ग्रंथानुसारेण भगवद्धजानंदाधिकारे आनंदोद्भव दौलतिरामेन अलप बुद्धिना उपायनी कृते टकरादि नकारांत प्ररूपको नांम त्रितीयः परिच्छेद ।। ३ ।। आरौं प्रकार का व्याख्यान करें है।
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भोक
संयुक्त,
परमानंद प्रियं पिनाकि संसेव्यं
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महेश्वरं ।
पापापेतं प्रीत्यप्रीति विवर्जितं ॥ १ ॥
पूतदेहं प्रभास्वरं ।
पुण्यं पुण्यगुणोपेतं प्रेक्षणं सर्व लोकस्य पैशून्यादि निषेधकं ॥ २ ॥ पोत तुल्यं भवांभोधी, परषान्वितमीश्वरं । पंडितं पंडितैर्वद्यं, पः प्रकासं नमाम्यहं ॥ ३ ॥
- der पकारांक आगम बिषै पवन तनौं है नांम। पवनजीति मनजीति मुनि तोहिं भजें गुन धांम ॥ ४ ॥
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पवनागम मैं भेद सहु, मंडल मुद्रा मंत्र |
सुर नाडी तत्वादि के बीज सहित शिव तंत्र ॥ ५ ॥
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रेचक पूरक कुंभका, त्रिविध जु भेद विचार | प्राणायाम करें बुद्धा, मन जीतन कौं सार ॥ ६ ॥ नव द्वारि को रोक सुर, काढहि दसम दुवार । मन वांधें सुर रोकिकै, योगी योग प्रचार ॥ ७ ॥ मन वसि करि ध्यांवें तुझें, आतम रूप बिचार | लहहीं परम समाधि क्रौं, योगी स्वरस बिहार || ८ || ताकौ नांम प्रकार । तू रण ऋण तैं रहित हैं, त्रिभुवन वल्लभ सार ॥ ९ ॥
बहुरि प्रगट रण रंग जो,
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