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________________ गुरु नामावली अनंतगुण प्रनंतशील । अनंत तेज प्रादि गुण भरणेकमल्ल । जीतर भयण सल्ल । एवं विधि से मुनिस्वर हया । तेहनि पाटि श्री महसेन श्राचार्य बिठा । ती िमह्सेनाचार्थि वादिविटंबन | वादी गजांकुश | महावादी मस्तकाणून । मिध्यात्व कुरंदकुदाल । इसां विरक कहाव्यां । श्रनेक 'चनासमूह sit | प्रापणु नाम रहाब्यु तेना गुणावली प्रवेश प्रनंत प्रवृत्ति । प्रनि तेह गुरुनु नाम प्रभाति काल स्मरण मात्र अनेक सुषनुदात्ता प्रवृत्ति | I श्रद्ध पोटक श्री विजयकीति निजकीति रसे। जिनसेन भाण्यु मया बसे । रविकीर्ति कीर्तितेजिय धणु । जिणिताद उतारयु मोह शु || १॥ श्लोक चारुसेनकः ।। श्रीकीत्ति भवकी ति भवांतकृत् ॥११॥ ८७ ॥ लोकको ति जगन्तुतः I मुनीन्द्रोऽपरकीतिक ॥२८॥ अश्वसेनगुणांभोभि शुभवः शुभकीर्तिमव श्रीभावति कसे नामो श्रीमत्रिलोकीसिश्व श्रथ दूहा जयकीर्ति गुणरासि । श्री सुरसेन मुनिंद जय रामकीर्ति गुरुप्रणमता, जांइ से पातिक नासि || १॥ ८६ ॥ श्री उदयकीसि उदत्र भलि राजकीति गुरु जोइ । P कुमारसेन गुरण बोलतां पार न पानि कोइ ||२||६०॥ पूरव रिपि खलज घरण, पद्मकीत सुपसिद्ध । पद्मसेन पछि उ पद्मावतीवर दि ।।३।। ६१ ।। चोली सेह श्री पद्मसेन पट्टोधरण संसारसमुद्र तारण तरण । सम्माचरण | पंचेन्द्रिय विलिकरण । एकासीमइपाटि ८३
SR No.090004
Book TitleAcharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size3 MB
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