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गुरुनामावली
मंगलाचरण --
नमस्कृत्य जिनाधीशान् सुरासुरनमस्कृतान् । वृषभादिबीरपर्यंतान् वक्षे श्रीगुरुपद्धितम् ।। १ ।। नमामि शारदां देवीं विबुधानन्ददायिनी । जिनेन्द्रवदनांभोज इंसिनी परमेश्वरीम् ॥ २॥ चारित्राणे वगंभीरान् नरमा श्रीमुनिपुगवान् । गुरुनामावली वक्षे समासेन स्वक्तितः ॥ ३ ॥
दहा बंध
जिण चुधीसह पाम नमी, समरवि शारद माई । काठसंघगुणवणं, पणवि गणहर पाइ ॥ ४ ॥ एक जीह किम बोलीइ, कट्ठसंघ गुण सार। सुर गुर बुषि जे समु, ते नषि लाभि पार ॥ ५ ॥ चुरासी गणहर हूया, मादि जिणंदह जोड । तिणि अनुऋमि वंदता, बीर एयारह होई ॥ ६ ॥ धुवीसह जिणवर तणे, गरणहर पाम मुनिदिन्न । सिर वालि ते जोयता, चौदिसि तेवन्न ।। ७ ।। वीर जिणंदह पट्टिपुण, बिठा गौतम स्वामि । नवनिधान धरि संपजि, पाप पणासि मामि ॥ ८ ॥ सौषम्मह मुनिवर हूउ, जंबू स्वामि वषाण । एबई सरसु सुपीऊ, यह केवल नाण 11 E
1. जीभ, जिल्हा
2. भगवान आदिनाथ के ८४ गणघर में