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सामाजिक श्रेष्ठियों को इस दिशा में सक्रिय सहयोग देना चाहिए ताकि जिनेन्द्र वारपी-हिन्दी साहित्य धारा में भी समवेत होकर कल्याणकारी मार्ग का प्रवर्तन कर सके।
पाकादशी के स्टा गनाती - में सोलरनी शताब्दी के समर्थ कविमनीषी सोमकीति, ब्रह्म यशोधर, सांगु, गुणीति तथा यमकीर्ति का प्रामाणिक व्यक्तित्व तमा कृतित्व परक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है । हिन्दी के समकालीन गुरु नानक, कबीरदास, चरणदास, अनन्तदास तथा पुरुषोत्तम भादि अनेक कवि उल्लेखनीय है जिनके साथ इन कवियों का तुलनात्मक तथा साहित्यिक मूल्या न होना चाहिए 1 मान्य शोध-निदेशक-बन्धुओं से निवेदन है कि वे कतिपय मेधावी शोधार्थियों का चयन कर जैन कवियों के साहित्य का स्तरीय प्रशन पोर मूल्याङ्कन प्रस्तुत करावें !
इस प्रकार प्रस्तुत पुष्प के प्रकाशन की अावश्यकता-उपयोगिता प्रसंदिग्ध है। प्राशा ही नहीं पूरा भरोसा है कि श्री महावीर ग्रंथ प्रकादमी की यह पुष्प-प्रकाशन की परम्परा चिरञ्जीवी रहेगी और हिन्दी साहित्यिक के कलेवर को अभिवृद्ध करेगी तथा साहित्यक कुलकरों की कुल-कीति को सुरक्षित रख सकेगी। हम इस मूल्यवान योजना के सतत् साफल्य की हार्दिक मंगल कामना करते हैं ।
प्रागरा रोड अलीगढ़ २६.७.८२
महेन्द्र सागर प्रचंडिया कृते सम्पादक मण्डल