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________________ १६६ प्राचार्य सोमकीर्ति एवं ब्रह्म यशोधर 2. बलिभद्र चुपई (रचना सं० १५८५) 3. विजयीत्ति गीत 4. वासुपूज्य गीत 5. वैराग्य गीत 6. नेमिनाथ गीत 7. 8. मल्लिनाथ गीत 9. पद संख्या १८ उफ रपनामों का संक्षिप्त परिचय निम्न प्रकार है-- २. मिाथ नील कषि की संवतोल्लेख वाली दो रचनामों में से नेमिनाथ गीत प्रथम रचना है जिसका रचना काल सं० १५८१ है। रचना स्थान बसपालपुर (बांसवाडा) है । प्रस्तुत गीत में २८ अन्तरे हैं जिनमें २२ वें तीर्थकर नेमिनाथ की एक झलक मात्र प्रस्तुत की गयी है। गीत में राजुल नेमिनाथ को सम्बोधित करके अपनी बेदना व्यक्त करती हैं और जब समझाने पर भी नेमि वापिस नहीं लौटते हैं तो स्वयं भी दीक्षा ले लेती हैं। नेमिकुमार भड सचिरया जी अलुग्गा सहिर मझारि । पंच महाव्रत आदरथा जी, राल्यु सवि सिरागार । हे राजिल मम करि मोह प्रयारण मोह हुइ परम नीहारण रे राजोल । प्रस्तुत कृति को अपूर्ण प्रति गुटझे में संग्रहीत है। केवल अन्तिम कुछ पद्य उपलब्ध होते हैं । २७ वा पद्य निम्न प्रकार है ब्रह्म यशोधर इम कहि जी भएसि जे नर नारि । स्वर्ग तयां सुस्न भोगवी जी लहिसि मुगति यार | हो स्वामी। २. बलिभद्र चौपई—यह कवि की अब तक उपलब्ध रचनानों में सबसे रही । रचना है । इसमें १८६ पद्य हैं जो विभिन्न ढाल, दूहा एवं चौपई आदि छन्दों में विभक्त है । कबि ने इसे सम्बत् १५८५ में स्कन्ध नगर के अजितनाथ के मन्दिर में सम्पूर्ण किया था। १. संवत पनर पच्यासोई, स्कन्ध नगर मभारि । भवरिण मजित जिनवर तणी, ए गुण माया सारि ।। १८८॥
SR No.090004
Book TitleAcharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size3 MB
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