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________________ कृतियाँ 1 [ २३३ में उपलब्ध है। यहां भिन्न भिन्न संवत् की अन्य कई प्रतिलिपियां भी हैं । इस प्रति में लिपि विषयक शाब्दिक त्रुटियां अनेक हैं। उदाहरण के लिए प्रारम्भिक कुछ पथों की टोडरमलजीकृत मुद्रित प्रति से तुलना की जाती है । मुद्रित प्रति दिगम्बर जैन स्वाध्याय मन्दिर ट्रस्ट - सोनगढ़ जिला भावनगर (सौराष्ट्र) से प्रकाशित है। जबलपुर की (हस्तलिखित) प्रसि पुरुसार्थ सिद्धयोपयाय (पद्य क्रमांक १) पय्यायः दर्पण (पद्य - २) निषद्ध विलसिताने अनेकां ( पच-३) रूपोद्रयते विदुष्षां सिधूपायोयं ( पच-४) दुरस्त निश्चयज्ञा ( पद्य - ५ ) वरणयन्त्यभूतार्थ विमुख प्राय (पद्य - ६ ) अवुधस्य बोधनार्थ मुनीस्वरा (पद्य ७ ) माणवक हि एव (पद्य) य प्राप्नोति देखना शिष्‍ सोनगढ़ की ( मुद्रित ) प्रति पुरुषार्थसिद्ध युपाय पर्यायः दर्पण निषिद्ध विलसितानां श्रनेकान्तम रूपोद्भियते विदुषां सिद्ध युपायोऽयम दुस्तर निश्चयज्ञाः वर्णयन्त्यभूतार्थं म् विमुखः प्रायः अबुधस्य बोधनार्थं मुनीश्वराः माणवक एव यः प्राप्नोति देशना शिष्य : इसी प्रकार की त्रुटियां प्रायः अधिकांश पद्यों में पाई जाती है । उपर्युक्त तुलना से यह स्पष्ट हो जाता है कि हस्तलिखित प्रति में ही टियां पाई जाती हैं, मुद्रित प्रति में उन त्रुटियों का सुधार हुआ है । द्वितीय हस्त लिखित प्रति पं० भूवर मिश्र द्वारा रचित उपलब्ध हुई है । यह प्रति ब्रजभाषा (हिन्दी) में है। इसकी रचना संवत् १८७१ ( ईस्वी १८१४ ) ये हुई थी। यह पृथक् पत्रों वाली स्पष्ट अक्षरों में में लिखी गई हैं । लिपिकार पंजवार चौबे चन्देरी ( मध्य प्रदेश ) हैं ।
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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