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छह करोड़, पाँच लाख, सात हजार, पांच सौ प्रमाण है । इसके अक्षरों की संख्या पाँच पद्म, नवासी शंख, पैंतीस नील, चौसठ खरब, निन्यानबे अरब, छत्तीस करोड़, बाईस लाख, चालीस हजार है।
सूर्य प्रज्ञप्ति का कथन सहस्सतियं पणलक्खा पयाणि पण्णत्तियाकस्स ॥३॥
सहस्रत्रिकं पंचलक्षाणि पदानि प्रज्ञप्तावर्कस्य । सूरस्सायु विमाणे परिया रिद्धीय अयणपरिमाणं । तत्तावतमेगहणं वण्णेदि वि सूरपण्णत्तो ॥ ४ ॥ सूर्यस्यायुः विमानानि परिवारमृद्धि चायनपरिमाणं ।
तत्तावन्मात्रग्रहणं वर्णयति सूर्यप्रज्ञप्तिः ॥ पयाणि-५०३००० । श्लोकाः २५६९७४९६४६१६५०० । अक्षर-८२२३१९८८६७६६४००० ।
सूर्य प्रज्ञप्ति के पदों की संख्या पाँच लाख तीन हजार है। सूर्य प्रज्ञप्ति, सूर्य की आयु, विमान, परिवार, ऋद्धि, अयन ( दक्षिणायन, उत्तरायण आदि ) गमन ( एक मुहूर्त में कितने योजन गमन करता है, किस-किस ऋतुओं में, किस गलियों में गमन करता है ) उसके परिमाण का कथन तथा बिम्ब की ऊँचाई दिन की हानि वृद्धि, किरणों का प्रमाण, प्रकाश सकलांश, अद्धांश, चतुर्थांश आदि का वर्णन करता है ।। ३-४॥
सूर्य प्रज्ञप्ति के पदों की संख्या पाँच लाख, तीन हजार है। इसके श्लोक की संख्या पच्चीस नील, उनहत्तर खरब, चौहत्तर अरब, छियानबे करोड़, सोलह हजार, पाँच सौ है। इसके अक्षरों की संख्या आठ शंख, बाईस नील, इकतीस खरब, अठानबे अरब, छियासी करोड़, छिहत्तर लाख, चौसठ हजार प्रमाण है।
जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति का कथन जंबूदीवे मेरू एक्को कुलसेलछक्क वणसंडा। छब्बीसं वीसं च दहा विय वीसं वक्खारणग वस्सा ॥५॥ जम्बद्वीपे मेरुरेकः कुलशैलषटकं वनखंडाः। षडविंशतिः विशतिश्च दहा अपि च विशतिः वक्षारनगा वर्षाः॥
जम्बद्वीप में एक मेरु है छह कुलाचल ( हिमवन, महाहिमवान, निषध, नील, रुक्मि, शिखरिणी ) हैं । छब्बीस वन खंड (प्रत्येक कुलाचल दोनों अन्त भागों में समस्त ऋतुओं के फूल और फलों के भार से नम्रीभूत