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मुनितोषणी टीका चमटीकरी, इत्यादि वाउकाय के जीवों की विराधना की होय तो देवसिय सम्बन्धि तस्स मिच्छामि दुक्कडं । ४।
__ वनस्पति काय में हरी, तरकारी, बीज, अंकुरा, कण, कपास, गुम्मा, गुच्छा, लत्ता, लीलण, फूलण, इत्यादि वनस्पतिकाय के जीवों की विराधना की होय तो देवसिय सम्बन्धि तस्स मिच्छामि
बेन्द्रिय में लट, गिंडोला, अलसिया, शंख, संखोलिया, कोडी, जलोक, इत्यादि बेन्द्रिय जीवों की विराधना की होय तो देवसिय सम्बन्धि तस्स मिच्छामि दुक्कडं । १।
तेन्द्रिय में कीडी, मकोडी, जूं, लींख, चांचण, माकण, गजाई, खजूरीया, उधई, धनेरिया इत्यादि तेन्द्रिय जीवों की विराधना की होय तो देवसिय सम्बन्धी तस्स मिच्छामि दुक्कडं । २।
चतुरिन्द्रिय में तीड, पतंगिया, मक्खी, मच्छर, भंवरा, तिगोरी, कसारी, विच्छं इत्यादि चतुरिन्द्रिय जीवों की विराधना की होय तो देवसिय सम्बन्धि तस्स मिच्छामि दुक्कडं । ३ ।
पंचेन्द्रिय में जलचर, थलचर, खेचर, उरपर, भुजपर, सन्नी, असन्नी, गर्भज, समुच्छिम, पर्याप्ता, अपर्याप्ता, इत्यादि पंचेन्द्रिय जीवों की विराधना की होय तो देवसिय सम्बन्धी तस्स मिच्छामि दुक्कडं ।४।
पहिला महाव्रत के विषय जो कोई अतिचार लाग्यो होय तो आलोऊं, (१) इन्दथावरकाय (२) बम्भथावरकाय (३) सिप्पथावरकाय (४) सम्मतीथावरकाय (९) पायावचथावरकाय (६) जंगमकाय, द्रव्य से इनकी हिंसा की होय, क्षेत्र से समस्त लोक में, काल से जावजीवतक, भाव से तीन करण तीन योग से पहिला महाव्रत के विषय जो कोई पाप दोष लाग्यो होय तो देवसिय सम्बन्धी तस्स मिच्छामि दुक्कडं ॥१॥
दसरा महाव्रत के विषय जो कोई अतिचार लाग्यो होय तो मालोऊं, कोहावा, लोहावा, भयावा, हासावा, क्रीडा, कुतुहलकारी, द्रव्य से झूठ बोल्यो होऊ, क्षेत्र से समस्त लोक में, काल से