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.. अनुयोगद्वारसूत्र स्पर्शगुणपमाण संस्थानगुणपमाणम् । अथ किं तद् वर्णगुणप्रमाणम् , वर्णगुणममाणं पञ्चविध प्रज्ञप्तं, तद्यथा-कालवर्णगुणप्रमाणं यावत् शुक्लवर्णगुणप्रमाणम् । तदेत वर्णगुणनमाणं । अथ किं तत् गन्धगुणप्रमाणम् ? गन्धगुणप्रमाणं, द्विविध प्पमाणे) एक जीव गुणप्रमाण और दूसरा अजीवगुणप्रमाण। (से कि तं अजीवगुणप्पमाणे ?) हे मदन्त ! अजीव गुणप्रमाण का क्या स्वरूप है ? (अजीवगुणप्पमाणे पंचबिहे पण्णत्ते)
उत्तर--अजीव गुणप्रमाण पांच प्रकार का कहा गया है-- (तं जहा) जैसे-(वण्णगुणप्पमाणे, गधगुणप्पमाणे, रसगुणप्पमाणे, फास गुणप्पमाणे, संठाणगुणप्पमाणे) वर्णगुणप्रमाण, गंधगुणप्रमाण, रसगुण प्रमाण, स्पशगुणप्रमाण, और संस्थान गुणप्रमाण । (ले कि तं वण्णगुगप्पमाणे १) हे भदन्त ! वह वर्णगुणप्रमाण क्या है ? (वष्णगुणप्पमाणे पंचविहे पण्णत्ते) वर्णगुणप्रमाण पांच प्रकार का कहा गया है (तं जहा) जैसे-(कालवण्णगुणप्पमाणे जाव सुकिल्लवण्णगुणप्पमाणे) कृष्णवर्ण गुणप्रमाण यावत् शुक्लवर्णगुणप्रमाण (से तं वणगुणप्पमाणे) इस प्रकार यह वर्णगुणप्रमाण है । (से कि तं गंधगुणप्पमाणे हे भदन्त! वह गंध गुणप्रमाण क्या है ? (गंधगुणप्पमाणे दुविहे पण्णत्त) गंधगुणप्रमाण दो प्रकार का कहा गया है। (तं जहा) जैसे गुणप्पमाणे) मे ७१ शुभ प्रभा भने भी मल गुमाए (से कि त अजीवगुणप्पमाणे) D RE ! ५७१ पुष्प प्रभानु २१३५ छ ? (अजीवगुणप्पमाणे पंचविहे पण्णत्ते) ___ उत्तर- प्रमाण पाय प्रा२नु अHi मा०यु छ. (तं जहा)
भो (वण्णगुणप्पमाणे, गंधगुणप्पमाणे, रखगुणप्पमाणे, फासगुणप्पमाणे, संठाणगुणप्पमाणे) व गुथुप्रमाण, 4 गुणप्रमाण, २स गुशुप्रभा, ५५ गुमाए भने संस्थान सुशुप्रभार (से कि तं वण्णगुणप्पमाणे १) है ! a qण शुषप्रमाण शुछ? (वण्ण गुणप्पमाणे पंचविहे पण्णत्ते) पण गुणप्रभा पांय प्रा२नु उपामा माथ्यु छ. (तौं जहा) रेम (कालवण्णगुणप्पमाणे जाव सुकिल्लवण्णगुणप्पमाणे) garg शुषप्रमा यावत् शुस १f शुष्प्रभार (से तं वण्णगुणप्पमाणे) 4 रीत मा वर्ष शुप्रमाण छे. (से कि त गंधगुणप्पमाणे) हे महत! ते गध शुशुप्रभा
छ १.. (गंधगुणप्पमाणे दुषिहे पण्णत्ते) २५ गुथुप्रभा २ मा ४३.